'संजीव भट्ट की जान को खतरा' - Zee News हिंदी

'संजीव भट्ट की जान को खतरा'

अहमदाबाद: गुजरात के नरेंद्र मोदी के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले विवादित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की जान को खतरा होने की आशंका जताई जा रही है.  संजीव भट्ट की पत्‍नी श्वेत ने यह आशंका जताते हुए राज्‍य के डीजीपी और अहमदाबाद के पुलिस कमिश्‍नर को चिट्ठी लिखी है.  भट्ट की पत्‍नी का कहना है कि उन्‍हें गुजरात पुलिस पर भरोसा नहीं है और उनकी जान को खतरा है. श्वेता ने यह भी आरोप लगाया है कि जेल में संजीव भट्ट से उन्हें मिलने नहीं दिया जा रहा है.

निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के ठिकानों पर छापेमारी की गई . शुक्रवार देर शाम हुई छापेमारी सबूत जुटाने के उद्देश्य से की गई.

इससे पहले संजीव भट्ट को गुजरात पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया था. भट्ट पर साल 2002 में गोधराकांड के बाद भड़के दंगों में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर सह-अपराधिता का आरोप है. भट्ट की गिरफ्तारी एक कांस्टेबल की शिकायत के आधार पर हुई.

वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के दौरान अपने अधीन काम कर चुके कांस्टेबल के डी पंत की ओर से दर्ज प्राथमिकी के आधार पर भट्ट से पूछताछ की गयी.

भट्ट पर एक सरकारी कर्मचारी को धमकाने, उन्हें गलत तरीके से बंधक बनाकर रखने और गलत सबूत गढ़ने का आरोप है.

कांस्टेबल पंत का आरोप है कि भट्ट ने उन्हें धमकाते हुए 27 फरवरी 2002 को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलायी गयी उच्च स्तरीय बैठक के बारे में गलत हलफनामे पर हस्ताक्षर करने को कहा.

भट्ट ने इससे पहले आरोप लगाया था कि मोदी ने इस बैठक में कथित तौर पर कहा था कि हिंदुओं को उनकी नाराजगी जाहिर करने दी जाये और मुस्लिमों को सबक सिखाया जाये.

पंत ने अपनी प्राथमिकी में आरोप लगाया कि उन्हें भट्ट ने 16 जून को फोन किया और उनसे किसी काम के सिलसिले में घर पर आने को कहा. जब पंत भट्ट के आवास पर पहुंचे तो आईपीएस अधिकारी ने उन्हें बताया कि मुकदमे में मदद करने के लिये उच्चतम न्यायालय की ओर से नियुक्त वकील 18 जून को आयेंगे और उन्हें बयान दर्ज कराने के सिलसिले में उनसे मुलाकात करनी होगी.

पुलिस कांस्टेबल का दावा है कि भट्ट उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजरुन मोधवाडिया के पास ले गये. कांग्रेस नेता ने भी पंत को भरोसा दिया कि इसमें चिंता करने की बात नहीं है और उन्हें वही करना चाहिये जो भट्ट कह रहे हैं. मोधवाडिया से मिलने के बाद भट्ट पंत को गुजरात उच्च न्यायालय के निकट एक वकील और नोटरी के दफ्तर ले गये और उनसे दो हलफनामों पर हस्ताक्षर करवाये.

भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में आरोप लगाया है कि गोधराकांड के बाद हुए दंगों में मोदी की सहअपराधिता थी. उन्होंने कहा कि पंत मोदी की बैठक के बारे में जानते थे, लिहाजा उन्हें धमकाया गया और विशेष जांच दल द्वारा उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. एसआईटी ने पंत से वस्तुत: आरोपी जैसा बर्ताव किया.

First Published: Saturday, October 1, 2011, 11:59

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