Last Updated: Thursday, September 6, 2012, 19:51

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने आज गुजरात की नरेन्द्र मोदी सरकार से कहा कि सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ कांड से संबंधित कार्यवाही में वह ‘विरोधात्मक रवैया’अपना रही है। इस मामले में राज्य के पूर्व मंत्री अमित शाह भी आरोपी हैं।
न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की खंडपीठ ने आज टिप्पणी की, ‘यह मत भूलिए कि राज्य सरकार विरोधात्मक रवैया अपनाती रही है और कई बार विरोधात्मक रवैया विरोधी रवैये में भी बदला है। यह पहली नजर में एक ऐसा मामला है जिसमें तीन व्यक्तियों की बेरहमी से हत्या कर दी गयी और इसकी तफतीश की आवश्यकता है।’
न्यायाधीशों ने कहा, ‘एक बार से अधिक बार हमने कहा कि राज्य को इसकी तह तक पहुंचने में उत्सुकता दिखानी चाहिए थी। देश के किसी भी हिस्से में ऐसा क्यों होना चाहिए?’ न्यायाधीशों ने पूर्व मंत्री अमित शाह की जमानत रद्द करने के लिए केन्द्रीय जांच ब्यूरो की याचिका पर सुनवाई के दौरान गुजरात के अतिरिक्त महाधिवक्ता तुषार मेहता की दलीलों के बीच ये टिप्पणियां की।
न्यायालय ने अमित शाह की जमानत रद्द करने की जांच एजेन्सी की अपील और गुजरात विधान सभा के आसन्न चुनाव के मद्देनजर पूर्व मंत्री को प्रदेश में प्रवेश की अनुमति देने के सवाल पर सुनवाई पूरी की। इस दौरान अमित शाह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने कहा कि उनके मुवक्किल को किसी भी प्रकार की राहत देते समय न्यायालय को विगत महीनों के उसके आचरण को ध्यान में रखना चाहिए।
न्यायालय ने जांच एजेन्सी के इस तर्क को अस्वीकार कर दिया कि यदि अमित शाह को जमानत पर रहने की इजाजत दी जाती है तो उन्हें राज्य के बाहर ही रहने का निर्देश दिया जाए।
न्यायाधीशों ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो की ओर पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तंखा से कहा, ‘यह स्वीकार्य नहीं है। क्या आप किसी अन्य शर्त का सुझाव दे सकते हैं? इस मामले में न्याय मित्र की भूमिका निभा रहे वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने सुझाव दिया कि अमित शाह को गवाहों और मुकदमे को किसी तरह से प्रभावित नहीं करने का निर्देश दिया जाए।
न्यायालय पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि सोहराबुद्दी शेख फर्जी मुठभेड़ कांड का मुकदमा गुजरात से बाहर संभवत: महाराष्ट्र की अदालत को सौंपा जा सकता है।
अमित शाह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी का कहना था कि उनका मुवक्किल यह आश्वासन देने के लिए तैयार है कि वह सभी शर्तो का पालन करेगा और गुजरात में जांच एजेन्सी की देखरेख में ही कहीं आने जाने के लिए भी तैयार है।
जेठमलानी का कहना था कि अमित शाह के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं होने के कारण ही गुजरात उच्च न्यायालय ने उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था। जांच एजेन्सी ने भी उच्च न्यायालय के निष्कर्ष को चुनौती नहीं दी है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, September 6, 2012, 19:51