Last Updated: Thursday, February 9, 2012, 13:21
अहमदाबाद : धार्मिक स्थलों को नुकसान और उनके लिए मुआवजे के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोटोर्ं को गुजरात विधानसभा के समक्ष नहीं रखने पर नरेंद्र मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने इसे गंभीर त्रुटि और मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया है।
हाईकोर्ट ने कल अपने फैसले में कहा था कि राज्य सरकार ने धार्मिक स्थलों को बहाल करने के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की वाषिर्क तथा अन्य रिपोर्टों को आज तक विधानसभा में नहीं रखने पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया। जबकि उन्हें रिपोर्ट 2005 की शुरूआत में ही मिल गईं थीं।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश भास्कर भट्टाचार्य और न्यायमूर्ति जेबी परदीवाला की खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से इस तरह की गंभीर भूल मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 20 का स्पष्ट उल्लंघन है। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार की नीति में मुआवजा केवल क्षतिग्रस्त आवासीय एवं व्यावसायिक स्थानों तक सीमित रखना और धार्मिक स्थलों के लिए मुआवजा नहीं देना संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 26 के तहत मिले बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन है।
अदालत ने यह भी कहा कि इस नीति से नागरिकों में यह गलत संदेश जाएगा कि धार्मिक स्थानों को खुद बंदोबस्त संभालना चाहिए क्योंकि उन स्थानों में तोड़फोड़ की स्थिति में कोई वित्तीय मदद सरकार की ओर से नहीं मिलेगी।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, February 9, 2012, 20:51