Last Updated: Tuesday, November 6, 2012, 18:23
तिरूवनंतपुरम : मलयालम सिनेमा के जनक के तौर पर पहचाने जाने वाले जे सी डेनियल और उनकी पहली अभिनेत्री पी के रोज़ी पर बना वृत्तचित्र प्रदर्शन के लिए तैयार है। 58 मिनट की अवधि वाली इस फिल्म का निर्देशन फिल्म विशेषज्ञ और लेखक किरण रविंद्रन ने किया है और इसके निर्माता मैजिक लैंटर्न हैं। पटकथा लेखन किरण ने फिल्म इतिहासकार कुन्नुकुझी मणि की मदद से किया है।
किरण के अनुसार, यह वृत्तचित्र डेनियल और रोज़ी के जीवन की किस्सागोई मात्र नहीं है बल्कि इसमें एक इंसान की उन पीड़ाओं को संवेदनात्मक रूप से दर्शाया गया है जिसे 20वीं सदी की शुरूआत में सिनेमा के लिए अपनी प्रतिबद्धता के लिए बड़े बलिदान करने पड़े।
रोज़ी की कहानी भी इतनी ही मार्मिक थी। उन्हें नैतिकता के तथाकथित पहरेदारों की वजह से वास्तव में अपना घर तक छोड़ना पड़ा था नैतिकता के इन तथाकथित रक्षकों को उस समय यह बर्दाश्त नहीं हुआ था कि कोई दलित महिला डेनियल की फिल्म ‘विगथाकुमारन (खोया हुआ बच्चा)’ में एक उंची जाति की महिला की भूमिका करे।
कन्याकुमारी के अगस्थीश्वरम के एक समृद्ध परिवार से आने वाले डेनियल ने 1928 में रोज़ी को बतौर अभिनेत्री लेकर अपनी पहली मूक फिल्म ‘त्रावनकोर’ बनाई थी। उस समय तमिलनाडु का यह इलाका त्रावनकोर रियासत के अंतर्गत आता था। हालांकि इस फिल्म ने एक इतिहास रच दिया था लेकिन इसका अंत किसी आपदा से कम नहीं था। सात नवंबर 1928 को जब इस फिल्म को कैपीटल थियेटर में प्रदर्शित किया गया तो फिल्म में एक स्थानीय दलित महिला को मुख्य किरदार में देखकर दर्शकों का एक वर्ग हिंसक हो उठा था।
फिल्म इतिहासकारों के अनुसार, पत्थर फेंके जाने से सिनेमाघर का पर्दा क्षतिग्रस्त हो गया था और इस शो को स्थगित करना पड़ा था। दर्शक बदमाशों के इस हमले से बचने के लिए वहां से भाग निकले। सिनेमा के लिए डेनियल का जुनून असल जिंदगी में उन्हें अमीरी से गरीबी में ले आया क्योंकि उनके प्रोडक्शन और दुखद अंत की वजह से वे समृद्धि से दीन-हीन दशा में आ गए थे।
लेकिन बाद के सालों में डेनियल केरल के सांस्कृतिक इतिहास में मलयालम सिनेमा के अगुआ के रूप में अमर हो गए और राज्य सरकार ने उनकी याद में एक वाषिर्क पुरस्कार की स्थापना की। यह पुरस्कार राष्ट्रीय स्तर पर दिए जाने वाले दादा साहब फालके पुरस्कार की तर्ज पर ही बनाया गया है।
किरण ने बताया, मेरी फिल्म उस व्यक्ति के लिए श्रद्धांजलि है जिसे मलयालम सिनेमा के जनक के रूप में काफी देर बाद पहचान मिली।’’ उन्होंने कहा, ‘‘डेनियल और रोज़ी की जिंदगी के बारे में उपलब्ध सारी सामग्री का अध्ययन करके मैंने इतिहास के साथ ज्यादा से ज्यादा न्याय करने की कोशिश की है। हमने अपने वृत्तचित्र को प्रदर्शित करने के लिए विगथाकुमारन के प्रदर्शन की 84वीं सालगिरह के मौके को चुना है।’’ फिल्म को कल त्रावनकोर के शाही परिवार के मुखिया के साथ दर्शकों के सामने प्रदर्शित किया जाएगा। इस अवसर पर प्रमुख अतिथि शाही परिवार के मुखिया उत्थरदम थिरूनल मरथांडा वार्मा होंगे। प्रसिद्ध फिल्मकार अदूर गोपालकृष्णन इस फिल्म का परिचय दर्शकों से करवाएंगे। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, November 6, 2012, 18:23