हसन साहब के साथ न गाने का अफसोस: लता

हसन साहब के साथ न गाने का अफसोस: लता

नई दिल्ली : मेहदी हसन के इंतकाल से दुखी स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने कहा है कि यह उनका दुर्भाग्य है कि वह शहंशाह-ए-गजल के साथ कभी गा नहीं सकी। लता और मेहदी हसन एक दूसरे के मुरीद रहे हैं, लेकिन दोनों को साथ गाने का मौका नहीं मिल सका। बीमारी के दिनों में भी भारत आकर लता से मिलने की ख्वाहिश जता चुके मेहदी हसन की यह ख्वाहिश भी अधूरी रह गई।

लता ने कहा कि यह मेरा दुर्भाग्य है कि जब वह स्वस्थ थे और गाते थे , तब मैं उनके साथ गा नहीं सकी। उनके जाने से एक बहुत बड़ा और महान गायक चला गया। फेफड़ों में संक्रमण से जूझते रहे हसन ने अस्सी के दशक के आखिर में गाना छोड़ दिया था। अक्तूबर 2010 में हालांकि एचएमवी ने ‘सरहदें’ एलबम जारी किया, जिसमें लता और मेहदी का पहला और एकमात्र युगल गीत ‘तेरा मिलना’ था। यह गीत हसन ने खुद तैयार किया था और पाकिस्तान में 2009 में इसकी रिकार्डिंग की। लता का हिस्सा 2010 में भारत में रिकार्ड किया गया और बाद में इसे युगल गीत के रूप में पेश किया गया।

लता ने इस बारे में कहा कि जब यह गीत आया तब हसन साहब काफी बीमार थे। हमने उन्हें गीत का टेप भी भेजा लेकिन उन्हें कुछ समझ में नहीं आया। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।

लता ने बताया कि मेहदी हसन से बरसों पहले टोरंटो में हुई पहली मुलाकात के बाद से ही वह उनके फन और सीरत की कायल हो गई थी। उन्होंने कहा कि मेरी उनसे पहली मुलाकात किंगस्टन में हुई। वह टोरंटो में फरीदा खानम के साथ एक शो के लिये आये थे। मैं उनसे मिलने टोरंटो गई और उन्होंने मुझे देखते हुए हारमोनियम छोड़कर बड़े अदम से मेरा इस्तकबाल किया। वह अच्छे गायक ही नहीं, बहुत अच्छे इंसान भी थे।

उन्होंने कहा कि उसके बाद तीन चार बार हमारी मुलाकात हुई। वह बीमारी के दिनों में भी मेरे घर आए थे और खाना खाकर गए थे। हसन को अपने पसंदीदा फनकारों में से बताते हुए उन्होंने कहा कि जो उन्हें पसंद नहीं करता, उसे मानो संगीत की समझ ही नहीं है। उनके जैसे गायक बिरले ही पैदा होते हैं। मेहदी हसन के गाए पसंदीदा गीत के बारे में पूछने पर लता ने कहा कि उनके हर गीत इतने उम्दा हैं कि एक चुन पाना मुश्किल है। मैने सबसे पहले उनका गीत ‘गुलों में रंग भरे’ का कैसेट खरीदा था और उसे सुनने के बाद हम सभी उनके कायल हो गए । लंदन में उनके लाइव कन्सर्ट के दुर्लभ कैसेट्स और रिकार्डस भी मैं लाई थी।

पिछले साल जगजीत सिंह और अब मेहदी हसन के जाने के बाद गजल गायिकी में आये सूनेपन के बारे में लता ने कहा कि हसन साहब के जाने के बाद तो लगता है कि गजल की दुनिया का सरपरस्त चला गया। वो नहीं तो कुछ नहीं। पिछले साल जगजीत और अब हसन साहब, गजल की दुनिया सूनी हो गई है। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, June 13, 2012, 14:14

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