Last Updated: Tuesday, February 5, 2013, 08:43

नई दिल्ली: चिकित्सकों का कहना है कि टैटू बनवाने से त्वचा कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। शरीर पर तरह-तरह के टैटू बनवाने का चलन युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हो रहा है।
चिकित्सकों के अनुसार टैटू बनाने के लिए प्रयोग की जाने वाली स्याही में कई तरह के विषैले तत्व होते हैं, जिनसे त्वचा कैंसर का खतरा होता है। खासतौर से टैटू बनाने वालों द्वारा प्रयोग की जाने वाली नीले रंग की स्याही में कोबाल्ट और एल्युमिनियम होता है। जबकि लाल रंग की स्याही में मरक्युरियल सल्फाइड और दूसरे रंगों की स्याहियों में शीशा, कैडियम, क्रोमियम, निकिल, टाइटेनियम और कई तरह की दूसरी धातुएं मिली होती हैं।
जानकारों के मुताबिक टैटू बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले औजार में यदि संक्रमित खून लगा हो तो इससे खून के द्वारा संक्रमित होने वाली बीमारियां जैसे एचआईवी, हेपेटाइटिस बी एवं सी और त्वचा कैंसर के विषाणु भी एक से दूसरे शरीर में फैल सकते हैं। टैटू की स्याही में आर्सेनिक होता है, जिसकी वजह से त्वचा कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। बहुत से युवा त्वचा को टैटू से होने वाले नुकसान को समझ नहीं पाते हैं। कुछ डिजाइनों में टैटू उकेरने वाली सूईयों को शरीर में गहरा चुभाया जाता है, जिससे मांसपेशियों तक को नुकसान पहुंचता है।
जानकार मानते है कि शरीर पर तिल वाले स्थान पर टैटू नहीं बनवाना चाहिए। तिल के आस-पास या तिल पर टैटू बनवाने से तिल में आ रहे बदलावों पर ध्यान नहीं जा पाता जो बाद में त्वचा कैंसर का कारण हो सकता है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, February 5, 2013, 08:43