बीजिंग ओलम्पिक-2008 में अभिनव बिंद्रा, विजेंदर सिंह और सुशील कुमार ने पदक जीत कर देश का मान-सम्मान बढ़ाया। चार साल बाद लंदन में 27 जुलाई से से शुरू हो रहे ओलिम्पक खेलों में इन तीनों खिलाड़ियों पर नजरें तो होंगी ही, कुछ अन्य खिलाड़ी भी हैं जिन पर पदक जीतने की प्रबल उम्मीदें हैं।
इस बार के ओलिम्पक खेलों में जिन भारतीय खिलाड़ियों से पदक की प्रबल उम्मीद हैं, उनमें अभिनव बिंद्रा का नाम सबसे ऊपर है। वर्तमान में बिंद्रा एयर रायफल शूटिंग में विश्व एवं ओलम्पिक चैम्पियन हैं। वह ओलम्पिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक हासिल करने वाले पहले भारतीय हैं। उन्होंने यह कामयाबी 2009 में बीजिंग ओलम्पिक में हासिल की। पिछले वर्षों में एयर रायफल प्रतिस्पर्धाओं में उन्होंने जो कामयाबी हासिल की है, उससे लगता है कि बिंद्रा इस बार के ओलम्पिक में पदक जीत देश का मान-सम्मान बढ़ाएंगे। हालांकि, बिंद्रा के सामने हर बार की तरह इस बार भी चुनौती काफी बड़ी होगी। उन्हें मुकाबले में रायफल शूटिंग के दिग्गज खिलाड़ियों से पार-पाना होगा।
एयर रायफल शूटिंग मुकाबलों में विश्व स्तर पर देश की प्रतिष्ठा बढ़ाने और अनोखी उपलब्धियां हासिल करने के लिए भारत सरकार बिंद्रा को प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार एवं राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कारों से सम्मानित कर चुकी है। इसके अलावा बिंद्रा को देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।
अभिनव बिंद्रा की कुछ अनूठी उपलब्धियां-
बीजिंग ओलम्पिक-2008 में स्वर्ण पदक
2010 में नीदरलैंड के इंटरशूट स्पर्धा में स्वर्ण एवं रजत पदक
2007 में एयर रायफल आस्ट्रेलियन कप में स्वर्ण पदक
राष्ट्रमंडल खेल-2006, मेलबर्न में स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक
एशियाई शूटिंग चैम्पियनशिप बैंक़ॉक-2005 में स्वर्ण पदक
गगन नारंग ने 2008 आईएसएसएफ विश्व कप फाइनल में पुरुष वर्ग के 10 मीटर एयर रायफल स्पर्धा में वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम कर स्वर्ण पदक जीता। नारंग ने क्वालीफाई दौर में 600 अंक और अंतिम दौर में 103.5 अंक जुटाए। इस तरह उन्होंने कुल 703.5 अंक जुटाते हुए वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया। नारंग ने आस्ट्रिया के एफ. थॉमस का रिकॉर्ड तोड़ा, थॉमस ने यह रिकॉर्ड स्पेन में 2006 में खेले गए विश्व कप फाइनल में बनाया था। नारंग की तरह ही निशानेबाज आर. सोढ़ी से भी पदक की उम्मीद है। सोढ़ी ने वर्ष 2011 में विश्व कप खिताब बरकरार रखने वाले पहले भारतीय बने हैं। लंदन ओलम्पिक में वह भी अपने शानदार प्रदर्शन से सबकों चौंका सकते हैं।
महिला मुक्केबाजी में लगातार पांच बार विश्व खिताब अपने नाम कर चुकीं मैरी काम से इस बार लंदन ओलम्पिक में खासी उम्मीदें हैं। लंदन ओलम्पिक में महिला मुक्केबाजी स्पर्धा के लिए जगह बनाने वाली कॉम अकेली भारतीय खिलाड़ी हैं। महिला मुक्केबाजी में कॉम के शानदार उपलब्धियों को देखते हुए सरकार उन्हें राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार एवं नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित कर चुकी है। उम्मीद है कि दो जुड़वा बच्चों की मां कॉम लंदन ओलम्पिक में पदक जीत अपने सपने को पूरा करते हुए देश का गौरव बढ़ाएंगी।
मैरी कॉम की महत्वपूर्ण उपलब्धियां-
एशियाई महिला चैम्पियनशिप-2012, मंगोलिया में स्वर्ण
एशियाई महिला कप-2011, चीन में स्वर्ण
वूमन्स वर्ल्ड एमेच्योर बॉक्सिंग चैम्पियनशिप-2010, ब्रिजटाउन में स्वर्ण
एशियाई खेल-2010, ग्वांगझू, चीन में कांस्य
एशियाई इंडोर गेम्स-2009, हनोई में स्वर्ण
एशियाई महिला चैम्पियनशिप-2008, गुवाहाटी में रजत
बैडमिंटन जैसे खेल में एक कुछ साल पहले तक भारत के पास कोई भी नाम ऐसा नहीं था, जो ओलिम्पिक में मेडल का दावा ठोक सके, लेकिन `सुपर सायना` ने इस सूखे को खत्म कर पहली बार इस खेल में देश के लिए पदक की उम्मीद जगाई है। इंडोनेशियन ओपन जीतने के बाद सायना के हौसले बुलंद है। सायना नेहवाल सही वक्त पर अपनी बेहतरीन फॉर्म में आई हैं। उसने एक हफ्ते के अंदर ही दो बड़े ख़िताब अपने नाम कर दिखा दिया है कि इस बार वह चूकने वाली नहीं।
फॉर्म, फिटनेस और आंकड़े, हर लिहाज़ से सायना का दावा मज़बूत नर आ रहा है। वर्ष 2011 में खराब फॉर्म से जूझ रही सायना ने इस साल जोरदार वापसी करते हुए अभी तक तीन बड़े टूर्नामेंट अपने नाम कर लिए हैं। `सुपर सायना` ने साल की शुरुआत में स्विस ओपन जीता, इस महीने की शुरुआत में थाइलैण्ड ओपन का खिताब, और अब इंडोनेशिया ओपन पर फिर कब्जा करके अपनी शानदार फॉर्म का सबूत दे दिया है।
इंडोनेशिया ओपन तीसरी बार जीतने के बाद सायना के कोच और पूर्व खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद ने भी माना कि ओलिम्पिक से पहले यह जीत उसका हौसला बढ़ाएगी।
सायना ने वर्ष 2008 के बीजिंग ओलिम्पिक में भी हिस्सा लिया था, लेकिन उस वक्त वह क्वार्टर फाइनल में हार गई थीं। इस साल लंदन ओलिम्पिक में अगर वह जीत जाती हैं तो वह बैडमिंटन में भारत के लिए यह पहला ओलिम्पिक मेडल होगा, और कुल मिलाकर सायना भारत की ओर से ओलिम्पिक में मेडल जीतने वाली दूसरी महिला बनेंगी।
भारतीय पहलवान सुशील ने वर्ष 2008 के बीजिंग ओलंपिक के में कांस्य पदक जीता था। सुशील ने भारत में कुश्ती जैसे पारंपरिक और ओलंपिक खेल को एक नई पहचान दी। सुशील ने 66 किलोग्राम वर्ग कुश्ती प्रतियोगिता में कज़ाखस्तान के पहलवान को हराकर कांस्य पदक जीता था।
सुशील का जन्म दिल्ली के नजफगढ़ में 26 मई, 1983 को हुआ था। सुशील कुमार के दादा, पिता और बड़े भाई कुश्ती किया करते थे. सुशील भी परिवार से प्रभावित होकर सातवीं कक्षा से ही पहलवानी करने लगे। सुशील ने अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित गुरू सतपाल, यशबीर और रामफल से पहलवानी के गुर सीखे हैं। ओलंकिपक में जिस तरीके की उन्होंने तैयारी की है उससे भारत को उनसे पदक की उम्मीदें है। सुशील की खासियत है कि वह बोलते कम है और करके दिखाने में यकीन रखते है।
लंदन ओलम्पिक में एथलीट कृष्णा पूनिया से भी काफी उम्मीदें हैं। पूनिया भारत की राष्ट्रीय डिस्कस थ्रो महिला चैम्पियन हैं। वर्ष 2010 में नई दिल्ली में सम्पन्न राष्ट्रमंडल खेलों में पूनिया ने डिस्कस थ्रो थ्रो में स्वर्ण पदक जीता। राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पूनिया पहली भारतीय महिला हैं। 2006 में दोहा में और उसके बाद 2010 में चीन में हुए एशियाई खेलों में पूनिया ने जहां कांस्य पदक जीता वहीं, पिछले राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक की जीत ने ओलम्पिक में उन्हें पदक का प्रबल दावेदार बनाया है। अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित पूनिया की ओलम्पिक में चुनौती हालांकि आसान नहीं होगी, यहां उन्हें विश्व के धुरंधरों खिलाड़ियों की चुनौतियों का सामना करना होगा।
पूनिया ने मई में हवाई में एलटियस ट्रैक क्रयू डिस्कस थ्रो प्रतियोगिता में 64.76 मी के थ्रो से अपना रिकार्ड तोड़ दिया और रजत पदक प्राप्त किया । उन्होंने सीमा अंतिल के मौजूदा 64.64 मी के राष्ट्रीय रिकार्ड को तोड़ते हुए राष्ट्रीय रिकार्ड भी कायम किया । हालांकि इसमें मौजूदा ओलंपिक चैम्पियन अमेरिका की स्टीफाने ब्राउन ट्रैफ्टन ने 66.86 मी के थ्रो से स्वर्ण पदक जीता ।
पूनिया ने 2006 में दोहा एशियाई खेलों से अपने कैरियर की शुरूआत की थी जिसमें उन्होंने कांस्य पदक जीता था । उन्होंने 2008 बीजिंग ओलंपिक में भी भाग लिया लेकिन इसमें असफल रहीं ।