Last Updated: Friday, November 2, 2012, 13:25
हिन्दी थिएटर के विकास में पृथ्वीराज कपूर का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता, जिन्होंने बिना किसी सरकारी सहायता के अपने दम पर थिएटर को स्थापित करने की पहल की। यह बात इसी तथ्य से समझी जा सकती है कि इलाहाबाद में महाकुंभ के दौरान शो करने के बाद पृथ्वीराज खुद गेट पर खड़े हो कर गमछा फैलाते थे और लोग उसमें पैसे डालते थे।