Last Updated: Tuesday, October 1, 2013, 16:56
देश के लोकतांत्रिक व्यवस्था में निश्चित तौर पर अब बदलाव का दौर शुरू हो चुका है। यदि सही मायनों में इन बदलावों को अमलीजामा पहनाया गया तो हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था बेहद मजबूत बनकर उभरेगी। खैर होना तो यह बहुत पहले चाहिए था, पर एक कहावत है `देर आए दुरुस्त आए`। जब आम नागरिक उम्मीदवारों को नामंजूर करना शुरू कर देंगे तो भारतीय लोकतंत्र में एक व्यवस्थागत और सकारात्मक बदलाव आएगा ही।