Last Updated: Monday, July 29, 2013, 10:16
देश में गरीबी के पैमाने से आंकड़ों के साथ खिलावाड़ गरीबों के मुंह पर घोर तमाचा है। पहले निरर्थक ढंग से गरीबी की परिभाषा तय करना और फिर दिन-रात संघर्ष कर अपना पेट पालने वाले लोगों के लिए चंद रुपयों का मापदंड तय करना, यह गरीबी का मजाक नहीं तो और क्या है।