Last Updated: Sunday, February 10, 2013, 13:31
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि ‘दुर्लभतम में से दुर्लभ’ जांच न्यायाधीश केंद्रित नहीं है बल्कि यह समाज की धारणा पर निर्भर करती है कि क्या वह खास तरह के अपराधों में दोषी पाए गए लोगों को मौत की सजा को मंजूरी देता है।