Last Updated: Monday, January 27, 2014, 18:21
इंटरनेट सेवा प्रदाताओं ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि उनके लिए अदालत और सरकार के आदेश के बगैर अश्लील साइट्स पर बंदिश लगाना व्यावहारिक और तकनीकी दृष्टि से संभव नहीं है। इन प्रदाताओं का कहना है कि इन साइट्स पर आपत्तिजनक सामग्री मौजूद होने के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।