लोकतंत्र का चौथा स्‍तंभ - Latest News on लोकतंत्र का चौथा स्‍तंभ | Read Breaking News in Hindi on zeenews.com

भ्रष्ट तंत्र और बेबाक मीडिया

Last Updated: Sunday, April 6, 2014, 19:03

निन्दक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय। बिना पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय। कबीरदास का सिखाया ये सबक वक्त के साथ बदल चुका है। अब निन्दक को नियरे यानी अपने पास तो छोड़िए। उसे दूर भी चैन से कोई रहने देने को तैयार नहीं है। आलोचना अब इस कदर बेचैन करने लगी है कि जो समर्थ है वो आलोचक को कुचलने तक से परहेज नहीं करना चाहता। ये एक ऐसा सवाल है जो वक्त के साथ बड़ा होता जा रहा है और इसका शिकार बन रहा है मीडिया और मीडिया जैसे वो तमाम प्लेटफॉर्म जिनके जरिए अभिव्यक्ति की आजादी का सूकून महसूस करने की कोशिश होती है, लेकिन बीते कुछ सालों में अभिव्यक्ति की आजादी को अपनी सहूलियत के हिसाब से पारिभाषित करने की प्रवृत्ति बढ़ी है।

भ्रष्‍टतंत्र और मीडिया: लोकतंत्र के चौथे स्‍तंभ पर ही निशाना क्‍यों?

Last Updated: Friday, April 4, 2014, 17:16

आजादी मिलने से लेकर अभी तक मीडिया को लेकर सोच में काफी बदलाव आया है। मीडिया पहले समाज सेवा के तौर पर देखा जाता था धीरे-धीरे बिजनेस बन गया और बिजनेस होते हुए भी लोकतंत्र के चौथे पिलर के तौर पर मीडिया अहम भूमिका निभाता रहा।