अहमदाबाद : भाजपा ने गुजरात में नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में अपना अच्छा प्रदर्शन जारी रखते हुए 182 में से 115 सीटों पर जीत दर्ज कर स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया। हालांकि पार्टी को पिछले चुनावों में मिली 117 सीटों से दो सीटें कम पर ही संतोष करना पड़ा है।
उधर, कांग्रेस को पिछली बार के मुकाबले दो सीटें अधिक मिली हैं और उसके प्रत्याशियों ने 61 सीटों पर जीत दर्ज की। हालांकि उसके दो आला नेताओं को मुंह की खानी पड़ी है।
एक समय कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले इस राज्य पर अब पूरी तरह से भाजपा और खासतौर पर नरेंद्र मोदी का प्रभाव है।
भाजपा इस बार दो तिहाई के जादुई आंकड़े को छूते हुए 122 से अधिक सीटें हासिल करने का दावा कर रही थी, वहीं सभी चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में भी पार्टी को 120 से लेकर 140 सीटें तक मिलने के अलग अलग दावे किए गए। लेकिन मतगणना के समाप्त होते-होते भाजपा का आंकड़ा 115 पर जाकर थम गया।
कांग्रेस को यह भी बड़ा झटका लगा है कि उसके प्रदेश अध्यक्ष अजरुन मोढवाडिया पोरबंदर सीट से भाजपा के बाबू बोखारिया से 17 हजार से अधिक मतों से हार गए हैं। उधर, विधानसभा में विपक्ष के नेता शक्तिसिंह गोहिल को भी प्रदेश के मत्स्य पालन मंत्री पुरुषोत्तम सोलंकी ने 18,554 मतों से शिकस्त दी है।
नरेंद्र मोदी ने मणिनगर विधानसभा में अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस की श्वेता भट्ट को 86,373 मतों के अंतर से पराजित किया।
मोदी ने जीत के बाद आयोजित विजय रैली में कहा कि यह सुशासन और विकास की जीत है। उन्होंने लोगों से कहा कि अगर उनसे कोई गलती हुई हो या कोई खामी रह गयी हो तो वे उन्हें माफ कर दें।
इस चुनाव में सर्वाधिक बड़े अंतर से जीतने का रिकार्ड भाजपा की आनंदीबेन पटेल ने बनाया। उन्होंने कांग्रेस के रमेश भाई पटेल को एक लाख से अधिक वोटों से पराजित किया है। कांग्रेस के साथ गठजोड़ में कुछ सीटों पर उम्मीदवार उतारने वाली राकांपा को दो सीटें मिली हैं। जदयू ने भी एक सीट पर जीत हासिल की और विजयी हुए तीन अन्य उम्मीदवारों में केशूभाई समेत जीपीपी के दो प्रत्याशी और एक निर्दलीय शामिल हैं।
गुजरात परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष केशूभाई पटेल ने सौराष्ट्र की विसावदर सीट पर भाजपा के कनुभाई भलाला को 42 हजार से अधिक मतों से हराया। उनके दो अन्य उम्मीदवारों को भी सफलता मिली है।
गुजरात की राजनीति में नरेंद्र मोदी का प्रभाव बढ़ने से पहले भाजपा के दिग्गज रहे और फिलहाल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शंकर सिंह वाघेला ने कपाडवंज सीट पर भाजपा प्रत्याशी को हरा दिया।
भाजपा सरकार के सात मंत्री चुनाव हार गए हैं। इनमें तीन कैबिनेट स्तर के मंत्री हैं। कृषि मंत्री दिलीप संघानी, स्वास्थ्य मंत्री जयनारायण व्यास, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री फकीरभाई वाघेला, वन राज्यमंत्री किरीट सिंह राणा, कृषि राज्यमंत्री कानूभाई भलाला, गृह राज्य मंत्री प्रफुल्ल पटेल और शिक्षा राज्य मंत्री जयसिंह चौहान हारने वाले मंत्रियों में शामिल हैं।
मोदी को जीत की बधाई देते हुए भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कहा कि उनकी सरकार ने खुद को देश में आदर्श साबित किया है। मोदी की जीत के साथ ही 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री पद के लिए उनकी मजबूत दावेदारी की चर्चाएं भी शुरू हो गयीं।
भाजपा से निलंबित राज्यसभा सदस्य राम जेठमलानी ने कहा कि जीत ने निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी के नाम को मजबूती प्रदान की है।
पार्टी की राज्यसभा सदस्य स्मृति ईरानी ने भी खुलकर प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर मोदी का समर्थन किया। हालांकि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इस विषय पर कोई स्पष्ट राय व्यक्त नहीं की है। भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने साफ रुख नहीं जताते हुए केवल इतना कहा, ‘मोदी भाई हमेशा से भाजपा में महत्वपूर्ण नेता रहे हैं। हमारी पार्टी वंशवाद से नहीं चलती जिसका नेता कोई युवराज होता है। हम पूरी तरह लोकतांत्रिक तरीके से काम करते हैं।’
इससे पहले मोदी ने भी मतगणना के बीच ट्विटर पर टिप्पणी की। उन्होंने लिखा कि यह पीछे मुड़कर देखने का नहीं आगे बढ़ने का समय है।
कांग्रेस नेताओं ने गुजरात में पार्टी की हार को तो स्वीकार किया लेकिन राज्य में पार्टी के मजबूत होने का दावा किया। पार्टी ने पिछली बार के मुकाबले दो सीटें अधिक पायी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि विधानसभा चुनाव में जीत से राष्ट्रीय राजनीति में मोदी की स्वीकार्यता की गारंटी नहीं है।
मोदी ने जीत के बाद भाजपा से अलग हुए केशूभाई पटेल के घर जाकर आशीर्वाद लिया।
मोदी ने जीत के बाद देश के लोगों तक पहुंच बनाने की कोशिश के तहत हिन्दी में दिए अपने विजय भाषण में कहा, ‘यदि कहीं किसी तरह की कोई गलती हुई है तो मैं आपसे, छह करोड़ गुजरातियों से माफी मांगता हूं।’
विश्लेषकों का कहना है कि चुनाव प्रचार के दौरान गुजराती में बोलते रहे मोदी का हिन्दी में बोलना उनकी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा का संकेत हो सकता है। मोदी ने यह भी कहा कि वह 27 दिसंबर को एक दिन के लिए दिल्ली जाएंगे।
उन्हें प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में पेश किये जाने की बहस के बीच सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री को देश प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार नहीं कर सकता। (एजेंसी)
First Published: Friday, December 21, 2012, 00:36
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