Last Updated: Monday, August 26, 2013, 13:06
नई दिल्ली : सरकार ने नए कंपनी विधेयक के तहत अपनाए जाने वाले नियमों को अंतिम रूप देने के लिए एक पारदर्शी एवं संवाद प्रक्रिया अपनाने की योजना बनाई है और वह इस संबंध में जल्द ही भारतीय कंपनियां एवं आम लोगों से टिप्पणियां आमंत्रित करेगी। नए कंपनी विधेयक को इस महीने की शुरआत में संसद द्वारा पारित किया गया है और राष्ट्रपति की मुहर लगते ही यह कानून का रूप ले लेगा।
कंपनी मामलों के मंत्री सचिन पायलट ने कहा, यह नया विधेयक कानून का रूप लेने वाला है और इसमें अधीनस्थ नियमों के लिए प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है और इसका निर्धारण बहुत ही पारदर्शी तरीके से किया जाएगा। पायलट ने कहा, हमारा लक्ष्य कम नियमन एवं अधिक अनुपालन वाले युग का सूत्रपात करने का है और नए नियम इस तरह से बनाए जाएंगे कि वे आसानी से समझ में आ सकें और आसानी से उनका पालन किया जा सके। नए नियमन करीब छह दशक पुराने कानून कंपनी अधिनियम, 1957 का स्थान लेंगे। इस कानून में कम से कम 25 बार संशोधन किया जा चुका है और इनमें से कई प्रावधान पुराने और अव्यवहारिक हो चुके हैं।
नए कंपनी विधेयक में कंपनियों के लिए सामाजिक कल्याण, निवेशकों के सशक्तिकरण आदि पर धन खर्च करने की अनिवार्यता है। इसके अलावा, कंपनियों को हर पांच साल में अंकेक्षक बदलने होंगे ताकि वे प्रबंधन के साथ साठगांठ न कर सकें। पायलट ने कहा, हमारे पास पहले से ही नियम बनाने वाली एक समिति है जिसमें उद्योग निकायों, कानून के क्षेत्र व निजी क्षेत्र के लोग सदस्य हैं। यह एक सरकारी समिति है, लेकिन इसमें सभी पक्षों की पर्याप्त भागीदारी है। (एजेंसी)
First Published: Monday, August 26, 2013, 13:06