Last Updated: Wednesday, September 25, 2013, 00:21

नई दिल्ली : कैबिनेट ने कोयला खान नीलामी के लिए तौर तरीके या कार्यपद्धति को मंगलवार को मंजूरी दे दी जिससे अग्रिम या उत्पादन सम्बद्ध भुगतान तथा कोयले के बिक्री मूल्य के मानकीकरण का रास्ता प्रशस्त हो गया है।
आधिकारिक बयान में कहा गया है कि कोयला खानों की नीलामी पर्यावरण मंत्रालय द्वारा उनकी समीक्षा तथा बोलीदाताओं द्वारा न्यूनतम कार्ययोजना पर सहमति के बाद ही की जाएगी।
बयान में कहा गया है कि आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने कोयला खानों की नीलामी प्रतिस्पर्धी बोली के जरिये करने की कार्यपद्धति को मंजूरी दे दी है। इसके अनुसार इस प्रणाली से जहां पूरी तरह से उत्खनित कोयला खानों की नीलामी की मार्ग प्रशस्त होगा वहीं क्षेत्रीय उत्खनित खानों की नीलामी भी तेज होगी।
इसके अनुसार इस नीति से अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित होगी और सरकार के लिए उत्खनित खानों की नीलामी की राह खुलेगी। कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा, ‘कोयला खानों की बोली की प्रक्रिया बहुत जल्द शुरू होगी। सरकार ने कोयला खानों के आवंटन में पारदर्शिता लाने के अपने वादे को पूरा किया है।’
सूत्रों ने बताया कि पहले छह उत्खनित खानों की नीलामी की जाएगी जिनका भंडार 200 करोड़ टन अनुमानित है। इस नीति के तहत एक रपये प्रति टन के आधार पर उत्पादन आधारित भुगतान किया जा सकेगा। इसके अलावा कोयला खान की तात्विक मूल्य के 10 प्रतिशत का मूल अग्रिम भुगतान किया जा सकेगा।
बयान में कहा गया है कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय पहले कोयला खान के ब्योरे की समीक्षा करेगा तथा अपने निष्कर्षों से अवगत करायेगा। इसके बाद ही अमुक क्षेत्र को नीलामी के लिए पेश किया जाएगा। इस बारे में अंतिम मंजूरी सांविधिक अनुमति पर निर्भर करेगी।
सरकार का कहना है कि चिन्हित खानों में उत्खनन गतिविधियां प्रगति पर हैं और इनके शीघ्र ही पूरा होने की संभावना है। इनकी नीलामी कोयला खानों की प्रतिस्पर्धी बोली नियम, 2012 के तहत की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि सरकारी अंकेक्षक कैग ने अपनी एक रपट में कहा था कि 2004 से 2009 के बीच कोयला खानों का आवंटन बिना नीलामी किया गया जिससे निजी कंपनियों को 1.8 लाख करोड़ रुपए का अवांछित फायदा मिला। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, September 25, 2013, 00:21