Last Updated: Saturday, February 9, 2013, 21:05

रामानुज सिंह
ऑस्ट्रेलिया 20वीं शताब्दी के अंतिम दशक और 21वीं शताब्दी के पहले दशक तक ना केवल एक दिवसीय क्रिकेट का बादशाह था बल्कि टेस्ट क्रिकेट में भी उसकी तूती बोलती थी। सन 2000 में ऑस्ट्रेलिया टेस्ट क्रिकेट में बुलंदियों पर था। दुनिया भर के क्रिकेट खेलने वाले देश ऑस्ट्रेलिया के विजय रथ को रोकने में नकाम साबित हो रहे थे। ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट खेलने वाले देशों को ना सिर्फ अपनी धरती पर पराजित कर रहा था बल्कि अन्य टीमों को उनके देश में धूल चटा रहा था। इस तरह ऑस्ट्रेलिया दुनिया भर में विजय का परचम लहरा चुका था।
अब बारी थी भारत की। वर्ष 2001 में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम भारत पहुंची। भारत में क्रिकेट के फैंस मान चुके थे कि इस बार टीम इंडिया अपनी धरती पर ऑस्ट्रेलिया के विजय रथ को नहीं रोक पाएगी। हुआ भी वैसा ही, तीन मैचों की टेस्ट सीरीज का पहला मैच मुंबई में खेला गया। जहां ऑस्ट्रेलिया ने भारत को हरा कर जीत का अभियान शुरू किया। फिर क्या था भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को लगने लगा कि शेष मुकाबलों में भी ऑस्ट्रेलिया की टीम जीत दर्ज करेगी।
दूसरा टेस्ट मैच कोलकाता के ईडन गार्डन पर शुरू हुआ। टीम इंडिया की पहली पारी जल्द सिमट गई। ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में अच्छी बल्लेबाजी की और पहली पारी में उसे 274 रनों की बढ़त मिल गई। भारतीय खेमा चिंतित था अब क्या होगा? भारत को फॉलोऑन खेलना पड़ा। ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी बेफिक्र थे कि उनका विजय पताका भारत में फहरेगा। लेकिन उसे पता नहीं था पोरस का राजा सिकंदर भी विश्वविजेता का सपना संजोए दुनिया के देशों पर विजय पताका फहराते हुए भारत पहुंचा जहां उसका सपना चूर-चूर हो गया। अंततः उसे झेलम नदी के पास से लौटना पड़ा। टीम इंडिया की सेना फॉलोऑन खेलने के लिए ईडन गार्डन के पिच पर उतरी और शनैः शनैः रन बनाना शुरू किया। भारतीय क्रिकेट का कोहिनूर हीरा, कलाई के कमाल से बेहतरीन शॉट लगाने वाले वीवीएस लक्ष्मण ने 281 रनों की यादगार पारी खेली। इतना ही नहीं द वॉल राहुल द्रविड़ के साथ मिलकर 376 रनों की साझेदारी की। पहली पारी में पिछड़ने के बावजूद भी लक्ष्मण के बदौलत टीम इंडिया ने 171 रनों से यह टेस्ट जीता और ऑस्ट्रेलिया की लगातार जीत के सिलसिले पर विराम लगा दिया।
टीम इंडिया के संकटमोटक और सबसे स्टाइलिश बल्लेबाज वीवीएस लक्ष्मण ने शुक्रवार की शाम को अचानक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। इसके साथ ही कलात्मक बल्लेबाजी के एक युग का अंत हो गया। उन्हें न्यूजीलैंड के खिलाफ 23 अगस्त से शुरू हो रही दो टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया था। पहला टेस्ट शुरू होने से पांच दिन पहले लक्ष्मण ने संन्यास लेकर अपने प्रशंसकों को हैरान कर दिया।
संन्यास के बाद लक्ष्मण ने कहा, न्यूजीलैंड अनुभवहीन आक्रमण के खिलाफ युवाओं को मौका मिलना चाहिए। मुझे लगता है आगे बढ़ने का यही सही समय है। वेरी वेरी स्पेशल क्रिकेटर का यह फैसला उनके चाहने वालों को भले ही निराश करता हो, पर हो सकता है उन्हें पता हो टीम इंडिया में फिर कोई हीरा निखार पाने के लिए तरासे जाने का इंतजार कर रहा हो जो उनकी (लक्ष्मण) भरपाई कर कोहिनूर हीरा बन सके।
ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड दौरे पर भारत की टेस्ट सीरीज में 0-4 की शर्मनाक हार के बाद सीनियर क्रिकेटरों पर उंगलियां उठाई जा रही थी। फलस्वरूप ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद टीम इंडिया की दीवार के नाम से मशहूर राहुल द्रविड़ ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया था। शायद लक्ष्मण ने भी इसी वजह से संन्यास लिया हो।
अब क्रिकेट के मैदान पर लक्ष्मण की कलाई का जादू नहीं दिखेगा। पर उनकी यादगार पारियां हमेशा जेहन में रहेंगी। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मार्च 2001 में 281 रनों की पारी को छोड़ दिया जाय तो इसके अलावे भी कई बेहतरीन पारियां हैं। 2003-04 में लक्ष्मण ने एडिलेड में 148 रन बनाए और राहुल द्रविड़ (233) के साथ मिलकर 303 रनों की साझेदारी की थी। सिडनी टेस्ट में 178 रन बनाए और सचिन (241) के साथ मिलकर 353 रन बनाए थे। द.अफ्रीका के खिलाफ 2010 में लक्ष्मण ने 143 रनों की नाबाद पारी खेली थी। मोहाली में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जहां टीम इंडिया 124 रनों पर आठ विकेट गंवा चुकी थी। इस हालत में लक्ष्मण ने नाबाद 73 रन बनाए और भारत को एक विकेट से रोमांचक जीत दिलाई थी। डरबन टेस्ट दिसंबर 2010 में जहां बल्लेबाजों का टिकना मुश्किल था वहां लक्ष्मण ने दूसरी पारी में 96 रन बनाकर भारत को 87 रनों से जीत दिलाने में मदद की।
लक्ष्मण का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दुनिया की सबसे मजबूत टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रहा है। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 49.67 की औसत से 2484 रन बनाए। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सचिन के बाद लक्ष्मण 2000 से अधिक रन बनाने वाले दूसरे बल्लेबाज हैं।
वीवीएस लक्ष्मण ने क्रिकेट करियर की शुरुआत 1996 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ किया था। उन्होंने 134 टेस्ट मैचों में 8781 रन बनाए जिनमें 17 शतक और 56 अर्धशतक हैं। लक्ष्मण ने 86 एक दिवसीय मैच खेला जिनमें छह शतकों की मदद से 2338 रन बनाए।
जब-जब क्रिकेट से समर में भारत की ऑस्ट्रेलिया से टक्कर होगी तब-तब वेरी वेरी स्पेशल बल्लेबाज लक्ष्मण की कमी खलेगी। हम क्रिकेट के स्टेडियम में, घरों में टीवी के सामने मैच देखते हुए लक्ष्मण को याद करते हुए कहेंगे काश! अभी वीवीएस होते......
First Published: Sunday, August 19, 2012, 18:47