Last Updated: Monday, December 10, 2012, 22:40

वाशिंगटन: ग्रहों, क्षुद्र ग्रहों और धूमकेतुओं से लैस हमारे सौर मंडल के जैसे करोड़ों सौर मंडल हमारी मिल्की वे आकाश गंगा में मौजूद हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि आकाश गंगाओं के समुद्र में ये सौर मंडल संभवत: एक बूंद के जैसे हैं।
आकाश गंगा के दुर्लभ और विशालतम जमावड़े को आकाश गंगा समूह कहा जाता है। इसका पता लगाना बेहद कठिन है। इस काम में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनेटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) का वाइड-फिल्ड इन्फ्रारेड सर्वे एक्सप्लोरर (डब्लूआईएसई) मददगार साबित हो सकता है।
मिशन ऑल स्काई इन्फ्रारेड मैपिंग ने एक सुदूरवर्ती आकाश गंगा समूह का पता लगाया है और उम्मीद है कि ऐसे हजारों और समूहों का पता चल सकेगा।
ये विशाल ढांचे आपस में गुरुत्व बल से जुड़े हजारों आकाश गंगाओं का संग्रह हैं। खगोलीय पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इन आकाश गंगाओं की उत्पत्ति ब्रह्मांड के शुरुआती दिनों में पदार्थ के बीज से हुई और स्फीति नाम की प्रक्रिया में इनका तीव्र विकास हुआ।
नासा के एक बयान के मुताबिक अनुसंधान कार्यक्रम की अगुआई करने वाले फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के एंथोनी गोंजालेज ने कहा है, `ब्रह्मांडविज्ञान में सबसे अहम सवाल यह है कि किस तरह विश्व में पदार्थ के बंटवारे में हुई पहली टक्कर और हरकत तेजी से आज नजर आने वाली विशाल आकाश गंगाओं के ढांचे के निर्माण में बदल गई।`
गोंजालेज ने आगे कहा कि डब्लूआईएसई की मदद से करोड़ों प्रकाश वर्ष दूर आकाश गंगाओं के समूह का पता लगने के बाद हम विश्व के आरंभिक स्फीति अवधि के सिद्धांत की जांच कर सकेंगे।
इन्फ्रारेड तरंगधैर्य (वेवलेंथ) से दो बार सर्वेक्षण करने के बाद डब्लूआईएसई ने संपूर्ण आकाश के सर्वेक्षण का काम 2011 में पूरा किया। `ऑलवाइज` नाम की नई परियोजना के तहत अगली पीढ़ी के ऑल स्काई चित्र पूर्व में जारी चित्रों से महत्वूर्ण रूप से अधिक संवेदनशील होंगे और 2013 के अंत तक सभी के लिए उपलब्ध हो सकेंगे। (एजेंसी)
First Published: Monday, December 10, 2012, 22:40