1850 के बाद 2001-10 का दशक सर्वाधिक गर्म रहा

1850 के बाद 2001-10 का दशक सर्वाधिक गर्म रहा

1850 के बाद 2001-10 का दशक सर्वाधिक गर्म रहाजेनेवा : तापमान मापन के लिए 1850 से आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल शुरू होने के बाद से 2001-10 का दशक सबसे गर्म दशक रहा, तथा इस दौरान विश्व को अप्रत्याशित रूप से मौसमों की चरम परिणति का सामना करना पड़ा। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) द्वारा बुधवार को जारी किए गए एक ताजा अध्ययन में ये बातें सामने आईं।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, इस रिपोर्ट में वैश्विक एवं क्षेत्रीय स्तर पर तापमान एवं वर्षण का अध्ययन पेश किया गया है, इसके साथ-साथ अपने चरम पर पहुंचने वाले मौसमों जैसे, यूरोप एवं रूस में गर्म हवाओं, अमेरिका में आए चक्रवात कैटरीना तथा म्यांमार में आए उष्णकटिबंधीय चक्रवात नरगिस का भी अध्ययन किया गया है।

इस अध्ययन के मुताबिक 2001 से 2010 के बीच के दशक में धरती तथा समुद्र के सतह का औसत तापमान 14.47 डिग्री सेल्सियस आंका गया। यह तापमान 1961 से 1990 के बीच वैश्विक औसत तापमान से 0.47 डिग्री तथा 1991 से 2000 के बीच औसत वैश्विक तापमान से 0.21 डिग्री अधिक है। इस रिपोर्ट में जितने देशों में अध्ययन किया गया उनमें से 94 प्रतिशत देशों में 21वीं शताब्दी का पहला दशक उनके इतिहास का सर्वाधिक गर्म दशक रहा।

रिपोर्ट के मुताबिक अध्ययन में शामिल 127 देशों में से करीब 44 प्रतिशत देशों में राष्ट्रीय स्तर पर सर्वाधिक गर्म तापमान रिकॉर्ड किया गया, जबकि 1991-2001 के बीच यह सिर्फ 24 प्रतिशत देशों में ही देखा गया था। वैश्विक तापमान में वृद्धि की दशकीय दर में 1971 से 2010 के बीच तेजी से बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरी धरती के अधिकतर हिस्सों में इस दशक के दौरान सामान्य से अधिक वर्षा हुई है। जब से वर्षा का रिकॉर्ड रखा जा रहा है तब से 2010 का वर्ष धरती का सर्वाधिक वर्षा वाला वर्ष रहा।

इस दशक के दौरान मौसम के चरम पर पहुंचने के कारण विश्व भर में 3,70,000 लोगों की मौत हुई है, जो 1991 से 2000 के बीच इन्ही कारणों से हुई मौतों की अपेक्षा 20 प्रतिशत अधिक है। (एजेंसी)

First Published: Thursday, July 4, 2013, 10:11

comments powered by Disqus