Last Updated: Thursday, July 4, 2013, 12:38

काहिरा : मिस्र के अपदस्थ नेता मोहम्मद मुर्सी को सेना द्वारा अपदस्थ किए जाने के चंद घंटे बाद अधिकारियों ने उन्हें और उनके कुछ महत्वपूर्ण समर्थकों को हिरासत में ले लिया। इस सबके बावजूद मुर्सी ने कहा कि वह देश के वैधानिक नेता हैं।
मीडिया में गुरुवार को आई खबरों में मुस्लिम ब्रदरहुड के दो वरिष्ठ सदस्यों के हवाले से कहा गया है कि 61 वर्षीय मुर्सी को उनके शीर्ष सहयोगियों के साथ एक सैन्य प्रतिष्ठान में रखा गया है। इसके पूर्व सुरक्षाबलों ने मुर्सी और मुस्लिम ब्रदरहुड के अन्य अग्रणी नेताओं पर यात्रा प्रतिबंध लगा दिया था।
मिस्र की पुलिस ने कहा कि उसे मुर्सी की मुस्लिम ब्रदरहुड पार्टी के 300 नेताओं और सदस्यों को गिरफ्तार करने का आदेश मिला है। मिस्र सेना के कमांडर जनरल अब्देल फतह सिसी ने सरकारी टेलीविजन पर संविधान को निलंबित करने और सर्वोच्च संवैधानिक अदालत के प्रमुख अदली मंसूर को अंतरिम राष्ट्र प्रमुख नियुक्त करने की घोषणा की। जानकारी के मुताबिक मंसूर आज शपथ ग्रहण करेंगे।
सिसी ने राष्ट्रपति पद और संसदीय चुनाव कराने, संविधान की समीक्षा के लिए एक समिति बनाने तथा एक राष्ट्रीय मेलमिलाप समिति बनाए जाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि रोडमैप पर कई राजनीतिक समूहों की सहमति है। मिस्र के सशस्त्र बलों के प्रमुख ने कल मुर्सी को राष्ट्रपति बनने के केवल एक साल बाद ही अपदस्थ कर दिया था। वह हुस्नी मुबारक के करीब तीन दशक के शासन के बाद 2012 में लोकतांत्रिक रूप से देश के पहले राष्ट्रपति चुने गए थे। यह कदम तब उठाया गया जब इस्लामी नेता मुर्सी ने राजनीतिक संकट के समाधान के लिए सेना की ओर से तय की गई 48 घंटे की समय सीमा खत्म होने के बाद पद छोड़ने से इनकार कर दिया। मिस्र के लाखों लोग मुर्सी के इस्तीफे की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए थे।
मुर्सी विरोधी प्रदर्शनों के केंद्र तहरीर चौक पर उस समय हर्षोन्माद छा गया जब सेना ने राष्ट्रपति को अपदस्थ करने की घोषणा की। हालांकि, मुर्सी के फेसबुक पेज पर एक बयान में सेना के इस कदम की निन्दा की गई और इसे ‘सैन्य तख्तापलट’ करार दिया गया। बयान में कहा गया कि सशस्त्र बलों के जनरल द्वारा घोषित प्रक्रिया, तख्तापलट की घटना है जो पूरी तरह अस्वीकार्य है। सेना की घोषणा के बावजूद मुर्सी के बयान में जोर देकर कहा गया कि वह राष्ट्र प्रमुख और सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर हैं। मुर्सी के बयान में मिस्र के नागरिकों (सेना और नागरिकों) से संविधान एवं कानून का पालन करने तथा तख्तापलट का समर्थन नहीं करने का आह्वान किया गया है।
मुस्लिम ब्रदरहुड की आधिकारिक वेबसाइट पर कहा गया कि सेना की घोषणा ‘वैधता के खिलाफ एक साजिश और सैन्य तख्तापलट है जिससे मिस्र में फिर से तानाशाही आएगी।’ इस बीच, मुर्सी के इस्लामी समर्थक काहिरा में एकत्र हुए और सेना की घोषणा को लेकर गुस्से से भरी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कुछ लोगों ने पथराव किया। स्त्री-पुरूष रोते और नारे लगाते नजर आए। सेना प्रमुख सिसी की आलोचना करते हुए कुछ लोग चिल्ला रहे थे, सिसी अमान्य है, इस्लाम आ रहा है, हम नहीं छोड़ेंगे।
सरकारी मीडिया और अधिकारियों ने कहा कि सेना द्वारा मुर्सी को अपदस्थ किए जाने की घोषणा के बाद उनके समर्थकों और विरोधियों के बीच हुई झड़प में कम से कम 10 लोग मारे गए। इनमें से आठ लोगों के उत्तरी शहर मारसा मत्रोह में मारे जाने की खबर है। वरिष्ठ प्रांतीय सुरक्षा अधिकारी अल अनानी हमूदा ने बताया कि मरने वालों में दो सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शरीफ अब्देलहमीद ने कहा कि हम स्थिति से निपट रहे हैं। हमने क्षेत्र में सुरक्षाबलों के और दस्ते मंगाए हैं। मिस्र की संवाद एजेंसी ने बताया कि फायूम, दक्षिणी काहिरा में दर्जनों लोग घायल हो गए जहां अज्ञात हमलावर ब्रदरहुड की राजनीतिक शाखा ‘फ्रीडम एंड जस्टिस पार्टी’ के स्थानीय कार्यालयों में घुस गए। इसने कहा कि हमलावरों ने मुख्यालय को लूट लिया और इसमें आग लगा दी। मिस्र के गृहमंत्री मोहम्मद इब्राहिम ने मुर्सी समर्थक तीन मुख्य चैनलों को बंद करने के आदेश दिए। मंत्री ने सभी ‘धार्मिक चैनलों’ को बंद करने का फैसला किया जिनमें मुस्लिम ब्रदरहुड से जुड़े मिस्र 25, अल नास और अल हफीज चैनल शामिल हैं।
मिस्र की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने देश की सेना से कहा है कि वह जल्द से जल्द शक्तियां लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार को सौंप दे। ओबामा ने कहा कि हम राष्ट्रपति मुर्सी को हटाने और मिस्र के संविधान को निलंबित किए जाने के मिस्र के सशस्त्र बलों के फैसले से काफी चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि अब मैं मिस्र की सेना का आह्वान करता हूं कि वह एक समावेशी और पारदर्शी प्रक्रिया के जरिए जिम्मेदारी पूर्ण ढंग से पूर्ण शक्ति जल्द से जल्द लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित असैन्य सरकार को सौंपे और राष्ट्रपति मुर्सी तथा उनके समर्थकों की मनमाने ढंग से गिरफ्तारी करने से बचे।
अल अजहर मस्जिद के ग्रांड शेख ने कहा कि वह जल्द राष्ट्रपति चुनाव कराए जाने के आह्वान का समर्थन करते हैं जो इस इस्लामी अवधारणा पर आधारित हो कि दो बुरे लोगों में से एक बेहतर व्यक्ति को चुनना धार्मिक दायित्व है। सेना की घोषणा के कुछ देर बाद उदारवादी विपक्षी नेता मोहम्मद अलबरदेई ने कहा कि 2011 की क्रांति फिर शुरू हो गई है और रोडमैप प्रदर्शनकारियों की मांग को पूरा करता है। मिस्र के अग्रणी मुस्लिम और ईसाई धर्म गुरूओं ने भी सेना प्रायोजित रोडमैप का समर्थन किया है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, July 4, 2013, 12:38