Last Updated: Tuesday, August 14, 2012, 23:59
गाजियाबाद : नोएडा के जलवायु विहार में चार वर्ष पूर्व अपने ही घर में हत्या की शिकार हुई 14 वर्षीया आरुषि के यौनांग से लिए गए संरक्षित नमूनों की जांच के बाद एक फॉरेंसिक विशेषज्ञ ने मंगलवार को यहां की एक विशेष अदालत को बताया कि इन नमूनों के आधार पर यौन उत्पीड़न ही पुष्टि नहीं हो सकती। ये नमूने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मुहैया कराए थे।
अभियोजन पक्ष के गवाह बीके महापात्रा केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के वैज्ञानिक हैं। उन्होंने सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एस. लाल को बताया कि उन्होंने जांच एजेंसी द्वारा पेश किए गए 27 तत्वों की जांच की। उन्होंने कहा कि जांच के लिए भेजे गए आरुषि के यौनांग के तरल पदार्थ के आधार पर यौन उत्पीड़न की पुष्टि नहीं हो सकती।
अदालत ने बचाव पक्ष की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय में नूपुर तलवार की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सीबीआई ने जिन 13 गवाहों के नाम लिए गए, उन्हें प्राथमिकता से सम्मन भेजा जाए। अदालत इस मामले की अगली सुनवाई 16 अगस्त को करेगी। आरुषि की मां नूपुर तलवार को 30 अप्रैल को हिरासत में लिया गया था। उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा 31 मई को जमानत याचिका खारिज किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी। वह इस समय गाजियाबाद के डासना जेल में बंद हैं, जबकि राजेश तलवार जमानत पर रिहा हैं।
उल्लेखनीय है कि 14 वर्षीया आरुषि 16 मई 2008 को नोएडा स्थित अपने माता-पिता के घर में मृत पाई गई थी। उनके घरेलू नौकर हेमराज का शव भी अगले दिन उसी घर की छत से बरामद हुआ था। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, August 14, 2012, 23:59