Last Updated: Sunday, June 2, 2013, 20:26

नई दिल्ली : न्यायाधीशों की नियुक्ति में सरकार की राय अवश्य शामिल किए जाने पर जोर देते हुए विधि मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए 20 साल पुरानी कॉलेजियम प्रणाली की जगह न्यायिक नियुक्ति आयोग बनाने का एक प्रस्ताव ‘बहुत जल्द ही’ मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाएगा।
प्रस्ताव पारित हो जाने के बाद नई व्यवस्था उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति में कार्यपालिका के दखल का रास्ता साफ करेगी। सिब्बल ने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली अपेक्षा पर खरी नहीं उतरी है और इस तरह की नियुक्तियों में सरकार का अवश्य दखल होना चाहिए।
सिब्बल ने मौजूदा व्यवस्था को निरस्त करने की आवश्यकता को उचित ठहराते हुए सिब्बल ने कहा, ‘हम नहीं मानते कि कॉलेजियम प्रणाली ने हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप काम किया है। मैं नहीं मानता कि इसने न्यायपालिका की अपेक्षाओं के अनुरूप भी काम किया है।’ सिब्बल ने कहा कि सरकार और न्यायपालिका का उद्देश्य है कि न्यायाधीश के तौर पर सर्वश्रेष्ठ लोग हों, जिन्हें पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ अवश्य चुना जाना चाहिए और व्यापक विचार-विमर्श होना चाहिए।
सिब्बल ने कहा कि जिस तरह उच्चतर न्यायपालिका (उच्चतम न्यायालय और 24 उच्च न्यायालयों) में न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति में न्यायाधीश महत्वपूर्ण पक्षकार है उतना ही सरकार भी है। चूंकि, उच्चतर न्यायपालिका के सदस्यों की नियुक्ति में हम दोनों पक्षकार हैं, इसलिए दोनों के बीच विचार-विमर्श बिल्कुल जरूरी है। सरकार की राय ली जानी चाहिए। प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर ने हाल में कॉलेजियम प्रणाली का जोरदार बचाव किया था। उन्होंने कहा था कि उच्चतर न्यायपालिका में नियुक्ति ‘गहन विचार-विमर्श’ के बाद की जाती है।
जब मौजूदा व्यवस्था में बदलाव पर न्यायपालिका की आपत्तियों का उल्लेख किया गया तो विधि मंत्री ने कहा, ‘हम न्यायपालिका की राय को जानते हैं। हम उस पर गौर करेंगे। कानून अवश्य ही पक्षकारों को स्वीकार्य होना चाहिए। इसमें न्यायपालिका, कार्यपालिका और न्याय प्रदान करने में शामिल सभी पक्षकार शामिल हैं।’ सरकारी प्रस्ताव के तहत उच्चतर न्यायपालिका के लिए न्यायाधीशों का चयन करने के लिए प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में छह सदस्यीय न्यायिक नियुक्ति आयोग का गठन किया जाएगा। इसमें विधि मंत्री सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे।
न्यायिक नियुक्ति आयोग (जेएसी) में उच्चतम न्यायालय के दो न्यायाधीश भी होंगे। इसके अतिरिक्त दो जाने-माने न्यायविद सदस्य के तौर पर राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाएंगे। सरकार आयोग में विपक्ष के नेता को शामिल करने के बारे में विचार करने के लिए तैयार है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, June 2, 2013, 20:26