जसवंत ने लोकतंत्र को लेकर खड़े किए सवाल

जसवंत ने लोकतंत्र को लेकर खड़े किए सवाल


नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह ने अपनी नई किताब में कुछ सवाल खड़े किए हैं, जिनमें उन्होंने पूछा है कि क्या खोखले रिवाजों ने उन सिद्धांतों की जगह ले ली है, जिन पर हमारी संसद और लोकतांत्रिक व्यवस्था खड़ी है? और अंतरराष्ट्रीय मामलों में हमारी क्या भूमिका है?

जसवंत ने अपनी किताब में ‘इरिलिवेंस ऑफ पार्लियामेंट एंड इट्स एमपीस’ शीषर्क से प्रकाशित लेख में कहा है कि प्रत्येक संसद सत्र में एक संयुक्त बैठक होती है, एक अभिभाषण और हमारी सरकार के कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा होती है लेकिन बड़े दुख की बात है कि अब यह उत्साहवर्धक नहीं है। मुझे हमारी संसद के कामकाज और हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था को लेकर शंकाओं ने घेर रखा है।

एमरिलिस प्रकाशन ने पिछले कई सालों में अनेक विषयों पर लिखे जसवंत सिंह के लेखों को संकलित कर ‘द ऑडेसिटी ऑफ ओपिनियन.रिफलेक्शन्स, जर्नीस एंड म्यूसिंग्स’ नामक किताब का प्रकाशन किया है। जसवंत के मुताबिक ये मुद्दे वे हैं जिनका सामना भारत पहले कर रहा था और आज भी कर रहा है। पुस्तक के विमोचन समारोह में जसवंत सिंह ने हालांकि उनकी पार्टी द्वारा कोयला ब्लॉक आवंटन के मुद्दे पर संसद सत्र को बाधित किये जाने के बारे में पूछे गये सवाल का जवाब नहीं दिया।

उन्होंने कहा कि हमारे विचार में संसद स्वतंत्रता की संरक्षक है, कुशासन पर नजर और कार्यपालिका पर नियंत्रण रखने वाली संस्था है लेकिन वास्तव में अब ऐसा लगता नहीं है। (एजेंसी)

First Published: Friday, October 5, 2012, 13:45

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