Last Updated: Friday, November 23, 2012, 09:38

नई दिल्ली : लोकपाल विधेयक पर प्रवर समिति की रिपोर्ट के कल राज्यसभा में पेश होने की संभावना है। समिति ने केंद्रीय विधेयक से प्रदेशों में लोकायुक्तों के गठन के प्रावधान को अलग करने की सिफारिश की है।
पिछले साल लोकसभा में पारित होने के बाद विधेयक के विभिन्न प्रावधानों को राज्य सभा में विपक्ष के विरोध का सामना करना पड़ा था जिसके बाद इसे प्रवर समिति को भेजा गया । समिति को अपनी रिपोर्ट मानसून सत्र में सौंपनी थी। विधेयक तैयार करने वाले कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को समिति द्वारा दी गई सिफारिशों के लिए केंद्रीय कैबिनेट का रूख करना पड़ेगा। विधेयक के राज्यसभा में एक बार पारित हो जाने के बाद संशेधित संस्करण को एक बार फिर मंजूरी के लिए लोकसभा में जाना होगा।
सत्यव्रत चतुर्वेदी की अध्यक्षता वाली समिति ने इस बारे में किसी तरह के बदलाव की कोई सिफारिश नहीं की है। प्रस्तावित कानून के दायरे में प्रधानमंत्री को लाए जाने की मांग के बावजूद विदेशी मामलों, आंतरिक सुरक्षा , परमणु ऊर्जा, अंतरराष्ट्रीय संबंधों और लोक व्यवस्था के मुद्दों पर प्रधानमंत्री को बाहर रखा गया है । ऐसा माना जा रहा है कि प्रवर समिति ने ‘आरक्षण’ से संबंधित प्रावधानों में किसी तरह के बदलाव की कोई सिफारिश नहीं की है। मूल प्रावधान में कहा गया कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी, अल्पसंख्यक और महिलाओं की श्रेणी से लोकपाल में 50 फीसदी से कम सदस्य नहीं होंगे। समिति की रिपोर्ट में कहा गया कि इन प्रावधानों का मकसद महज लोकपाल संस्था में समाज के विभिन्न तबकों को प्रतिनिधित्व देना है। (एजेंसी)
First Published: Friday, November 23, 2012, 09:38