इशरत मामले में पुलिस अधिकारी ने रैंबो की तरह काम किया: सीबीआई

इशरत मामले में पुलिस अधिकारी ने रैंबो की तरह काम किया: सीबीआई

इशरत मामले में पुलिस अधिकारी ने रैंबो की तरह काम किया: सीबीआईअहमदाबाद : गुजरात हाईकोर्ट ने गुजरात पुलिस के शीर्ष पुलिस अधिकारी पीपी पांडेय की ओर से दायर याचिका पर एक जुलाई तक अपना आदेश सुरक्षित कर लिया। उसमें उन्होंने इशरत जहां मुठभेड़ मामले में अपने खिलाफ दायर प्राथमिकी को निरस्त करने की मांग की है जबकि सीबीआई ने उन्हें इस मुठभेड़ मामले का ‘योजना बनाने वाला’ बताया है।

मामले की जांच कर रही सीबीआई के अनुसार अतिरिक्त डीजीपी ने पूरे अभियान में एक्शन हीरो रैंबो की तरह काम किया। इशरत और उसके तीन साथियों को अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा ने मुठभेड़ में मार गिराया था। अपराध शाखा ने तब दावा किया था कि वे आतंकवादी थे। न्यायमूर्ति हर्षा देवानी ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद याचिका पर फैसला सुनाने के लिए एक जुलाई की तारीख निर्धारित की।

1982 बैच के आईपीएस अधिकारी को सीबीआई अदालत ने भगोड़ा घोषित कर दिया था। उन्होंने अपनी याचिका में दावा किया था कि उन्होंने सिर्फ खुफिया सूचना दी थी कि मुठभेड़ में मारे गए चार लोगों में से दो आतंकी थे और मुख्यमंत्री की हत्या करने के लिए शहर में घुसने की योजना बना रहे थे।

पांडेय की दलीलों का विरोध करते हुए अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल इंदिरा जयसिंह ने दावा किया कि पांडे चार लोगों की हत्या के मामले का ‘सरगना’ था। पांडे ने दावा किया था कि उनकी भूमिका सिर्फ खुफिया सूचना प्रदान करने तक थी। उन्होंने आरोप लगाया कि वह समूची मुठभेड़ की योजना बनाने वाला व्यक्ति है। वह वाहक थे। उन्हें सूचना मिली, उन्होंने इसे अपने कनिष्ठों को दिया और सब कुछ की व्यवस्था की। दरअसल पूरे अभियान पर उनका नियंत्रण था। वास्तव में उन्होंने रैंबो की तरह काम किया।

केंद्रीय एजेंसी की ओर से दायर प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि पांडेय ने कथित तौर पर अपने साथी अधिकारियों को ‘कथित महत्वपूर्ण खुफिया सूचना’ दी। उसमें कहा गया कि कॉलेज छात्रा इशरत और तीन अन्य लश्कर के आतंकवादी थे और मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के मिशन पर थे। संयुक्त पुलिस आयुक्त के तौर पर पांडेय अपराध शाखा के प्रमुख थे, जब इशरत, जावेद शेख उर्फ प्राणेश पिल्लै, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर 15 जून 2004 को यहां के निकट मुठभेड़ में मारे गए थे। याचिका का विरोध करते हुए सीबीआई की ओर से जयसिंह ने याचिका की विचारणीयता को चुनौती दी।

उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय एक पीठ ने दिसंबर 2011 में एसआईटी की अंतिम रिपोर्ट को पढ़ने के बाद इस मामले में नई प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था और आदेश दिया था कि सीबीआई इसकी जांच करेगी।

First Published: Friday, June 28, 2013, 20:39

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