Last Updated: Saturday, June 22, 2013, 21:38

देहरादून : उत्तराखंड की बाढ़ से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचे लोगों से दिल दहलाने वाली बातें सुनने को मिल रही हैं। कुछ लोगों ने बताया कि मुश्किल की उस घड़ी में उन्हें एक ‘पराठे’ के लिए 250 रुपए और चिप्स के छोटे पैकेट के लिए 100 रुपए चुकाने पड़े।
दून अस्पताल में भर्ती देहरादून का स्थानीय नागरिक मनोहर लाल मौर्या (56) ने बताया कि मुश्किलों में फंसे तीर्थयात्रियों पर हुए शोषण से वह निराश है।
मौर्या जिसकी टैक्सी बाढ़ में बह गई, बताया-‘थोड़े से चावल के लिए मुझे 40 रुपए देने पड़े। वहां कहीं भी भोजन उपलब्ध नहीं है।’
उत्तर प्रदेश के बागपत निवासी अमित गुप्ता के मुताबिक गौमुख में फंसे उनके रिश्तेदारों ने बताया कि उन्हें चिप्स के दो पैकेट और दो बोतल पानी के लिए 400 रुपए देने पड़े।
बाढ़ में कई दिनों से जगह-जगह फंसे ज्यादातर लोगों के पास ज्यादा पैसे नहीं बचे हैं और ऐसे में उन्हें खाने-पीने की चीजें खरीदने में काफी दिक्कतें हो रही हैं।
एक सिख पर्यटक ने बताया कि कुछ स्थानीय व्यक्ति लोगों की मजबूरियों का फायदा उठा रहे हैं। पर्यटक ने बताया, ‘ऐसी यात्रा जिसकी कीमत सामान्य रूप से 1000 रुपए होती है, टैक्सी चालक तीन से चार हजार रुपए की मांग रहे हैं। हम मजबूर हैं।’
रेलवे स्टेशन पर एक पर्यटक ने बताया, ‘दुकानदार एक पराठा 250 रुपए में और पानी की एक बोतल 200 रुपए में बेच रहे हैं।’ (एजेंसी)
उदयपुर के रहने वाले रमेश ने बताया कि उन्हें पानी और भोजन खरीदने में दिक्कत हो रही है क्योंकि स्थानीय लोग इन सब चीजों के लिए काफी पैसे मांग रहे हैं। रमेश के माता-पिता बाढ़ में फंसे हुए हैं। फगवाड़ा के श्याम सुंदर शर्मा (72) ने बताया कि हर्सिल में बने कैंप में दवा और भोजन की कोई व्यवस्था नहीं है। (एजेंसी)
First Published: Saturday, June 22, 2013, 19:14