Last Updated: Thursday, August 15, 2013, 00:31

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को स्पष्ट किया कि गुजरात में 2002 से 2006 के दौरान हुई 22 कथित फर्जी मुठभेड़ के मामलों पर गौर करने के लिए गठित पूर्व न्यायाधीश एच एस बेदी की अध्यक्षता वाला जांच दल निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए राज्य से बाहर के पुलिस अधिकारियों को शामिल कर सकता है।
प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने गीतकार जावेद अख्तर की इस दलील पर गौर किया कि न्यायमूर्ति बेदी के निगरानी दल में गुजरात के पुलिस अधिकारी शामिल हैं और मौजूदा परिस्थितियों में निष्पक्ष जांच संभव नहीं है।
न्यायालय ने कहा कि अध्यक्ष (न्यायमूर्ति बेदी) को गुजरात से बाहर के व्यक्तियों और अधिकारियों की मदद लेने की अनुमति दी जाती है। शुरू में न्यायालय इस मामले में किसी प्रकार का स्पष्टीकरण देने का अनिच्छुक था। न्यायालय ने कहा भी कि क्या यह निगरानी करना जरूरी है कि किस तरह से जांच की जा रही है। यदि न्यायमूर्ति बेदी को किसी तरह की परेशानी होगी तो वह हमें लिख सकते हैं और जांच कराना उनका काम है।
न्यायालय ने कहा कि निगरानी समिति को अपना काम करने दीजिये और यदि रिपोर्ट में कोई कमी होगी तो बाद में इसका उल्लेख किया जा सकता है। लेकिन जावेद अख्तर और सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी के वकील प्रशांत भूषण ने बार बार कहा कि न्यायमूर्ति बेदी ने 25 जनवरी, 2012 के आदेश को गलत समझ लिया और एक स्पष्टीकरण निष्पक्ष जांच में मदद करेगा। इसके बाद न्यायालय ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया।
इस बीच, न्यायालय ने गुजरात के इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया कि अब इसके बाद याचिकाकर्ताओं को न्यायमूर्ति बेदी समिति की रिपोर्ट मुहैया नहीं कराई जानी चाहिए। न्यायालय ने कहा कि जब भी अध्यक्ष अपनी रिपोर्ट पेश करते हैं तो उसकी प्रति याचिकाकर्ताओं को उपलब्ध कराई जाए। (एजेंसी)
First Published: Thursday, August 15, 2013, 00:31