Last Updated: Wednesday, November 16, 2011, 12:49

नई दिल्ली : रालोद प्रमुख अजित सिंह ने उत्तर प्रदेश को चार राज्यों में बांटने के मायावती सरकार के फैसले को राजनीतिक स्टंट करार दिया, लेकिन उसे स्वागत योग्य भी बताया। सिंह ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में गठबंधन के लिए उनकी कांग्रेस नेताओं से बातचीत चल रही है, लेकिन अभी इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
सिंह ने कहा, कांग्रेस से गठबंधन को लेकर बातचीत चल रही है। लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि गठबंधन हो ही गया है। सीटों का बंटवारा, चुनावी रणनीति और चुनावी घोषणा-पत्र जैसी कई चीजें हैं, जिन पर बातचीत जरूरी है।
रालोद प्रमुख ने इस संबंध में अधिक खुलासा करने से इनकार करते हुए कहा कि यह जरूरी नहीं कि गठबंधन के लिए हर पार्टी के हर एक मुद्दे को मान ही लिया जाए। इन दिनों गठबंधन न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर चलते हैं। क्या कांग्रेस और रालोद, दोनों ही उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन चाहते हैं, इस पर सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा, दोनों पक्ष ऐसा चाहते जरूर हैं लेकिन इस संबंध में अब तक जो भी बयान दिए गए हैं, वे कांग्रेस की तरफ से दिए गए हैं। मैं अभी इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता। कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। मैं फिलहाल न तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिला हूं और न ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से।
अजित सिंह ने कहा, मैं यह नहीं कहूंगा कि मैं गठबंधन के प्रति आशान्वित हूं या नहीं। मैं सिर्फ यही कहूंगा कि बातचीत जारी है। सिंह ने इस बात का भी खंडन किया कि वह केंद्र सरकार में कोई मंत्री पद चाहते हैं। उन्होंने कहा, यह सब बातें मीडिया की उपज हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में आज बड़ा सवाल मायावती (बसपा) को हराने का है। उत्तर प्रदेश की जनता के समक्ष विकल्प नहीं है। मायावती के खिलाफ अगर कोई भी गठबंधन आकार लेता है तो बसपा को हराया जा सकता है।
गौरतलब है कि रालोद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों को मिलाकर हरित प्रदेश का गठन करने की लंबे समय से मांग कर रहा है। मायावती सरकार के प्रस्ताव में तीन और जिले जोड़कर कुल 25 जिलों के साथ पश्चिम प्रदेश बनाने की बात कही गई है।
सिंह ने उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी और भाजपा के रुख पर आश्चर्य जताया। उन्होंने कहा, जब उत्तराखंड का गठन हुआ था तो मुलायम सिंह ने इसका समर्थन किया था। वर्ष 1998 के आम चुनाव में सपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी छोटे राज्यों के गठन का पक्ष लिया था।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 16, 2011, 18:19