राजनीतिक कहानियों को स्वीकारने में समय लगेगा: शूजित सरकार

राजनीतिक कहानियों को स्वीकारने में समय लगेगा: शूजित सरकार

राजनीतिक कहानियों को स्वीकारने में समय लगेगा: शूजित सरकारनई दिल्ली : फिल्म ‘मद्रास कैफे’ की कहानी को पर्दे पर उकेरने में शूजित सरकार को छह साल का वक्त लगा और फिल्म की रिलीज से पहले निर्देशक को दक्षिण भारत में प्रदर्शनों का भी सामना करना पड़ा। निर्देशक का मानना है कि भारतीय सिनेमा को अभी राजनैतिक कहानियों को स्वीकारने में वक्त लगेगा।

फिल्म की कहानी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या और उससे जुड़े विवादों से प्रेरित है और सरकार को पता था कि सत्य और नाटकीयता का तालमेल बिठाना मुश्किल होगा।

सरकार ने कहा, ‘भारत की विविधता को देखते हुए ‘मद्रास कैफे’ जैसी फिल्म को बनाना मुश्किल था। हम उस ओर आहिस्ता से बढ़ तो रहे हैं लेकिन अभी भी इस तरह की कहानियों को स्वीकारने में हमें वक्त लगेगा। मैं खुद को खुशकिस्तमत मानता हूं कि मेरी फिल्म इस तरह की पहली फिल्म होगी।’

निर्देशक का मानना है कि फिल्म कहीं भी अपने मूल कथानक से भटकी नहीं और फिल्म में आम सिनेमा की तरह लटके झटकों जैसे कि गाने और नृत्य से भी बचा गया है।

सरकार ने कहा, ‘जब मैंने पहली बार इस बारे में सोचा था तब मैं जानता था कि यह मुश्किल होगा और इसी कारण इसे करने में मुझे छह साल का वक्त लगा। मैं फिल्म की कहानी के साथ कोई जोखिम नहीं लेना चाहता था। मेरी सबसे बड़ी चिंता पर्दे पर श्रीलंका के नागरिक युद्ध को दिखाना था।’

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की फिल्म होने के बावजूद अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सवों में नहीं भेजने के निर्णय पर सरकार ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि उन्होंने कोई मौका गंवाया है। (एजेंसी)

First Published: Monday, September 2, 2013, 18:43

comments powered by Disqus