‘शूटआउट एट वडाला’ रिव्यू: एक्शन और मनोरंजन का फुल डोज मसाला -‘Shootout At Wadala’ review: Make way for the raw, unabashed Manya Surve!

‘शूटआउट एट वडाला’ रिव्यू: एक्शन और मनोरंजन का फुल डोज मसाला

‘शूटआउट एट वडाला’ रिव्यू: एक्शन और मनोरंजन का फुल डोज मसाला  ज़ी मीडिया ब्यूरो

नई दिल्ली: बॉलीवुड में गैंगस्टर्स, अंडरवर्ल्ड पर आधारित फिल्में बनती रही है। निर्देशक संजय गुप्ता की फिल्म शूटआउट एट वडाला इस प्रकार की फिल्मों में एक नया नाम जुड़ा है जो इस शुक्रवार रिलीज हुई है। अभिनेता जीतेन्द्र की बेटी एकता कपूर और संजय गुप्ता द्वारा निर्मित फिल्म ‘शूटआउट एट वडाला’ मुंबई के गैंगस्टर मान्या सुर्वे की जिंदगी पर आधारित एक एक्शन फिल्म है जिसमें कुछ हकीकत और कल्पानाओं का तानाबाना बुना गया है।

यह फिल्म 70-80 के दशक की वह कहानी दिखाती है जिसमें गैंगस्टर्स और गैंगवार की कहानी पिरोई गई है और किसी गैंगस्टर का पहला एनकाउंटर है।

इस फिल्म की रिव्यू पढ़ने से पहले आप यह जान ले कि मान्या सुर्वे कौन था। मान्या सुर्वे 70 और 80 के दशक के बीच का सबसे शक्तिशाली गैंगस्टर था। उस समय हर जगह सिर्फ उसी की धौंस चलती थी। लोगों के बीच उसका डर फैला हुआ था, लेकिन यह बात कम लोग जानते हैं कि मान्या सुर्वे असल में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और उसके बड़े भाई सबीर इब्राहिम का जानी दुश्मन था। वह दाऊद और अफगानी माफिया संघ के खिलाफ जंग लड़ता था। मान्या सुर्वे का एनकाउंटर उस समय के एसीपी इसाक बागवन ने किया था। वडाला में शूटआउट की यह घटना 11 जनवरी 1982 को हुई थी जो उस समय काफी चर्चित रही थी।

संजय गुप्ता ने फिल्म को खूबसूरती से पिरोया है और अपनी तरफ से भी कुछ काल्पनिक घटनाएं जोड़ी हैं इसलिए फिल्म कहीं से भी बोरिंग नहीं लगती। हकीकत और कल्पना का कुछ ऐसा तानाबाना है जो इसे फुल डोज एंटरटेनमेंट मूवी बनाता है।

फिल्म की कहानी है एक आदमी (मान्या सुर्वे) की जो शक्तिशाली गैंगस्टर्स पर अपनी धाक जमा लेता है। मान्या (जॉन अब्राहम) को एक मर्डर केस में फंसा दिया जाता है। उसे इसी केस के सिलसिले में आजीवन कारावास की सजा मिलती है। मान्या जेल से भागकर मुंबई आ जाता है और यहां अपना गैंग बना लेता है। पुलिस उसके दबदबे को खत्म करने के लिए ऑपरेशन मान्या सुर्वे चलाती है। इस बीच मान्या के जीवन में भावनात्मक पल भी आते है जब उसे प्यार हो जाता है। फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है और आखिरकार उसे ....।

इस फिल्म के स्क्रीनप्ले की जितनी तारीफ की जाए कम है। फिल्म के स्क्रिप्ट में कसावट है, फिल्मांकन में विविधता है जो दर्शकों को सिनेमाहॉल में बोर होने से बचाती है। फिल्म के बड़े हिस्से में एक्शन दिखाया गया है जो वास्तविकता के करीब है । फिल्म के एक्शन सींस के लिए टीनू वर्मा को दाद देनी होगी जो दर्शकों को रोमांचित करते हैं।

‘शूटआउट एट वडाला’ फिल्म की दूसरी खासियत है इसके डायलॉग्स । इसके डायलॉग गहरा असर छोड़ते है जो फिल्म को और रोचक बनाते है। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी, एडिटिंग और बैकग्राउंड स्कोर भी बेहतर कहा जा सकता है। इस फिल्म के संगीत के बारे में बात करे तो संगीत पक्ष ठीकठाक है। खासकर सनी लियोन, जॉन अब्राहम और तुषार कपूर पर फिल्माया गया गीत लैला तेरी लूट लेगी, तू लिख के लेले... रिलीज से पहले ही लोकप्रियता बटोर चुका है और सबकी जुबान पर है।

इस फिल्म के रिलीज से पहले मान्या सुर्वे का किरदार निभाने वाले जॉन अब्राहम ने कहा था कि इस फिल्म में मेरा किरदार अबतक के बेहतर किरदारों में से एक होगा। उन्होंने मान्या सुर्वे को किरदार को बेहद खूबसूरती के साथ निभाया है । मान्या के किरदार को जॉन ने जीवंत कर दिया है। अपनी कदकाठी, परफॉर्मेंस की बदौलत वह किरदार में पूरी तरह ढल गए है।

अभिनेता अनिल कपूर ने साबित कर दिया है कि वह ऐसे अदाकार है जिनपर कोई दूसरा एक्टर हावी नहीं हो सकता। मनोज बाजपेयी का अभिनय भी शानदार है । तुषार कपूर और सोनू सूद का काम भी अच्छा है। कंगना राणाउत का अभिनय भी बढ़िया है और फिल्म के बाकी कलाकारों का काम भी अच्छा है।

कुल मिलाकर ‘शूटआउट एट वडाला’ एक पैसा वसूल मनोरंजक फिल्म है कहीं जा सकती है। फिल्म में क्रूरता होते हुए भी यह रोमांचक है। फिल्म में ड्रामा,एक्शन है,गाना, दमदार डायलॉग्स इसकी जान है जो कई मायनों में असरदार है। संजय गुप्ता की यह फिल्म यकीनन मनोरंजन का फुल डोज मसाला है जो देखनेलायक है।

First Published: Friday, May 3, 2013, 16:54

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