Last Updated: Sunday, May 4, 2014, 19:49
नई दिल्ली : नेशनल स्पाट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) के करोड़ों रुपये के भुगतान घोटाले के आरोपियों ने मनी लांड्रिंग के जरिये महंगे वाहन, पॉश विला और फ्लैट, महंगे प्लॉट, बड़े आकार की कृषि भूमि तथा बीच-साइड होटलों में शेयर खरीदे।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा एनएसईएल के 5,600 करोड़ रुपये के भुगतान घोटाले की जांच की जा रही है। पिछले साल यह मामला सामने आया था, जबकि निवेशकों ने दावा किया था कि उनके साथ धोखाधड़ी की गई है। इन परिसंपत्तियों की गैरकानूनी खरीद के लिए एनएसईएल के वैध कोष का इस्तेमाल किया गया।
ईडी द्वारा अदालत में पेश रिपोर्ट में मोइन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड व उसकी अनुषंगियों द्वारा शेयर बाजार के धन की ‘लांड्रिंग’ के लिए अपनाए गए तरीके के बारे में बताया गया है। प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि आमतौर पर ‘लेयरिंग’ की प्रक्रिया के जरिये लांड्रिंग वाले धन को अंतत: प्रणाली में लाया जाता है।
ईडी की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इस मामले में अभी तक जुटाए गए प्रमाणों के अनुसार मोहन इंडिया व अन्य ने अपने अपराध के जरिये जुटाई गई राशि पर परत चढ़ाने की कोशिश की। इसके लिए उन्होंने रेंज रोवर जैसे महंगे वाहन व लग्जरी विला खरीदे, जिनका उनके कानूनी तौर पर वैध कारोबारी गतिविधियों से कोई लेना देना नहीं था।’
प्रवर्तन निदेशालय ने कुछ माह पहले कंपनी और उसके अन्य कारोबार के नाम पर नाम पर 125 करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों को मनी लांड्रिंग रोधक कानून (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत कुर्क कर दिया था। केंद्रीय जांच एजेंसी ने इन परिसंपत्तियों को अपराध से जुटाई गई परिसंपत्तियां बताया था। मोहन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड सबसे बड़ी डिफाल्टर है और शुरुआत में उस पर 922 करोड़ रुपये का बकाया था। ताजा आंकड़ों के अनुसार अब उस पर 600.08 करोड़ रुपये का बकाया है जिसमें से उसने एक्सचेंज को 52.85 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।
प्रवर्तन निदेशालय की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि मोहन इंडिया समूह की कंपनियों को अपने निपटान खातों में चीनी की बिक्री के एवेज से एनएसईएल से धन मिला। बाद में इस राशि का हस्तांतरण कार डीलरों, डेवलपर्स, निर्माण कंपनियों आदि को एनईएफटी-आरटीजीएस भुगतान पे-आर्डर के जरिये किया गया। (एजेंसी)
First Published: Sunday, May 4, 2014, 19:49