Last Updated: Friday, December 6, 2013, 00:33
ज़ी मीडिया/क्राइम रिपोर्टर रेप के आरोपी और 58 दिन तक फरार रहने वाले नारायण साईं के तिलिस्म के राज़ का हो गया है पर्दाफ़ाश। नारायण के पूरे तिलिस्मी मायाजाल का अब होने लगा है खुलासा। ऐसा खुलासा जिनसे साफ हो गया है कि पुलिस की गिरफ्त में आने से बचने के लिए पूरे 58 दिन तक एक शहर से दूसरे शहर तक और एक ठिकाने से दूसरे ठिकाने तक भागते-दौड़ते रहने वाले नारायण साईं को जरूरत पड़ने पर जहां अपने किसी भी अंधभक्त से मदद लेने में कोई गुरेज नहीं था। वहीं वो अपने करीबी से करीबी लोगों पर भी आंख मूंदकर भरोसा नहीं कर पाता था।
नारायण साईं की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को अभी तक जो जानकारी मिली है उससे साफ हो गया है कि फरार होने के बाद पूरे 58 दिनों तक अगर इस शातिर ने किसी पर सबसे ज्यादा भरोसा किया तो वो थी इसकी तीसरी आंख । इसी आंख की बदौलत रेप का ये आरोपी ने हर छोटी से छोटी बात पर रखता था अपनी नजर और इसकी वजह से ही इसके पास रहती थी हर खबर की खबर।
पुलिस के शिकंजे में फंसने से बचने के लिए बलात्कार के इस आरोपी ने अपना पूरा मायाजाल बना रखा था ।ऐसा मायाजाल जिसमें उसकी अंधभक्ति करने वाले श्रद्घालु तो थे ही उसके खास और भरोसे वाले लोग भी थे जो कदम कदम पर करते थे नारायण की पुलिस से सुरक्षा जिनके पास होती थी पुलिस की हर चाल और हर प्लान की जानकारी लेकिन इन तमाम तैयारियों और कोशिशों के बावृजूद धरा रह गया पूरा मायाजाल और पुलिस ने कस दिया शातिर संत पर शिकंजा।
जो लोग नारायण साईं पर आंख मूंदकर भरोसा करते थे उन्हें ये जानकर मायूसी होगी कि नारायण की किताब में भरोसा नाम का लफ़्ज था ही नहीं । नारायण अपने किसी भी सेवादार या सेविका पर भरोसा नहीं करता था, उसकी निगाह अपने हर सेवक और सेविकाओं के एक-एक मूवमेंट पर रहती थी और इसमें नारायण की मदद करती थी उसकी तीसरी आंख । गिरफ्तारी के बाद नारायण साईं के बारे में कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं । कभी नारायण के करीबी रहे कुछ लोगों का मानना है कि वो अपने पिता आसाराम से भी ज्यादा ख़तरनाक है ।खबर है कि नारायण के दिमाग में दबे राज उगलवाने के लिए पुलिस ब्रेन मैपिंग का भी सहारा ले सकती है ताकि उसका एक एक राज का खुलासा हो जाये ।हालांकि रेप के इस मामले के दर्ज होने में काफी देर हो चुकी है जिसकी वजह से कानून के जानकारों का कहना है कि इस मामले में उसे बेनिफिट ऑफ डाउट भी मिल सकता है ।
रेप और यौन शोषण के इल्जामों से घिरे नारायण साईं की सोच खुद अपने बारे में क्या थी, इसका सबूत भी उसने अपनी डायरी में दिया है। खुद को कृष्ण का अवतार समझने वाले नारायण ने अपनी डायरी में लिखा है।
`अगर आज भगवान कृष्ण होते तो उन पर भी रासलीला करने के लिए मुकदमा हो जाता.`।
जाहिर है, नारायण एफआईआऱ दर्ज होने और गिरफ्तार होने के बाद भी नारायण साईं को अपने गुनाह का अहसास नहीं है। या फिर वो सब कुछ जानकर भी अनजान बन रहा है। लेकन नारायण साईं ने शायद वो कहावत नहीं सुनी कि रेत में सिर गड़ा लेने से शुतुर्मुर्ग पर आया संकट टल नहीं जाता ।लिहाजा नारायण भले ही खुद को बेगुनाह करार दे या खुद की तुलना भगवान कृष्ण से करे, लेकिन हकीकत तो यही है कि कानून की नजर में फिलहाल हो एक मुल्जिम है और वो गुहनगार है या बेगुनाह इसका फैसला भी वो या उसके भक्तों को नहीं बल्कि कानून को ही करना है।
नारायण ने अपना आखिरी ठिकाना लुधियाना की एक गोशाला में बनाया था। लेकिन साईं के इस ठिकाने की खबर दिल्ली पुलिस तक पहुंच गई और वहां से भागते वक्त कुरुक्षेत्र में पुलिस ने नारायण को उसके ड्राइवर रमेश और बॉडीगार्ड हनुमान समेत धर दबोचा। खास बात ये है कि नारायण ने अपना 58 दिन का सफर सड़क मार्ग से ही तय किया ।ऐसा इसलिए था क्योंकि हवाई सफर और ट्रेन या बस के सफर में उसे पहचान लिए जाने का खतरा ज्यादा था।
गुनाह के संगीन इल्जामों के बावजूद नारायण साईं खुद को पाक-साफ और बेदाग़ बताने में जरा भी नहीं हिचकता था ।उसके दुश्मनों की फेहरिस्त में नया नाम जुड़ा पुलिस का रेप के आरोप में मामला दर्ज होने के बाद जब पुलिस उसके पीछे पड़ी तो उसने पुलिस को भी अपना दुश्मन करार देने में देर नहीं लगाई ।पुलिस का शिकंजा कसने के बावजूद उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं होना उसकी इसी बेफिक्री की कहानी कहती है लेकिन पुलिस की शुरुआती पूछताछ में इस शातिर ने जो कुछ बताया है वो उसके इस अंदाज से एकदम इतर है ।
बताया जा रहा है कि रेप के मामले में फंसने के बाद फरारी का रास्ता अख्तियार करने वाला नारायण साईं खुद को हमेशा गाय के समान बताता था जबकि पुलिस के लिए वो कसाई शब्द का इस्तेमाल करता था।
First Published: Friday, December 6, 2013, 00:33