कालाधन: सरकार ने 18 लोगों के नाम सुप्रीम कोर्ट को सौंपे

कालाधन: सरकार ने 18 लोगों के नाम सुप्रीम कोर्ट को सौंपे

कालाधन: सरकार ने 18 लोगों के नाम सुप्रीम कोर्ट को सौंपेज़ी मीडिया ब्यूरो

ननई दिल्ली : केंद्र सरकार ने करीब तीन साल तक प्रतिरोध करने के बाद आज सुप्रीम कोर्ट को 18 लोगों के नामों की जानकारी दी जिन्होंने कथित रूप से जर्मनी के लिशटेंसटाइन में एलएसटी बैंक में कालाधन जमा कर रखा था और जिनके खिलाफ आय कर विभाग ने मुकदमा शुरू किया है।

केंद्र सरकार के हलफनामे में शामिल इन नामों की सूची में अंब्रूनोवा ट्रस्ट और मर्लिन मैनेजमेन्ट एसए के मोहन मनोज धूपेलिया, अंबरीश मनोज धूपेलिया, भव्य मनोज धूपेलिया, मनोज धूपेलिया और रूपल धूपेलिया के नाम शामिल हैं। केंद्र के अनुसार आयकर विभाग को मनीषी ट्रस्ट के चार सदस्यों के खिलाफ भी सबूत मिले हैं। इनमें हसमुख ईश्वरलाल गांधी, चिंतन हसमुख गांधी, मधु हसमुख गांधी और स्व मीरव हसमुख गांधी शामिल हैं। सरकार ने कहा कि रूविषा ट्रस्ट से चंद्रकांत ईश्वरलाल गांधी, राजेश चंद्रकांत गांधी, विरज चंद्रकांत गांधी और धनलक्ष्मी चंद्रकांत गांधी के खिलाफ भी कानूनी कार्यवाही शुरू की है।

इस सूची में डेन्सी स्टिफटंग और ड्रायड सैटिफटंफ ट्रस्ट के अरूणकुमार रमणीकलाल मेहता और हर्षद रमणीकलाल मेहता के नाम भी शामिल हैं। वेबस्टर फाउण्डेशन से के एम मैम्मन, उर्वशी फाउण्डेशन से अरूण कोछड़ और राज फाउण्डेशन से अशोक जयपुरिया का नाम भी सूची में है। केंद्र सरकार ने सीलबंद लिफाफे में उन व्यक्तियों के नाम भी दिए हैं जिनके खिलाफ 8 मामलों में कर चोरी का कोई सबूत नहीं मिला है।

सरकार ने न्यायमूर्ति एच एल दत्तू, न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई और न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर की तीन सदस्यीय खंडपीठ से अनुरोध किया है कि इन नामों को सार्वजनिक नहीं किया जाए। न्यायालय ने कहा कि इन दस्तावेजों के ब्यौरे पर वे आपस में चर्चा करके एक मई को इस मामले में निर्णय करेंगे।

जर्मनी के कर विभाग के अधिकारियों से एलजीटी बैंक में भारतीय खाताधारकों के नाम सरकार को 2009 में ही मिल गए थे। कोर्ट ने इनके नाम जाहिर करने का आदेश 2011 में दिया था। बावजूद इसके सरकार ने ऐसा नहीं किया था और इसके कारण उसे कोर्ट की नाराजगी झेलनी पड़ी थी। केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा है कि एलजीटी बैंक में 12 ट्रस्टियों एवं इकाइयों के खातों में जमा अथवा बकाया धनराशि के बारे में मिली राशि की जानकारी दोहरे कराधान से बचाव के बारे में भारत-जर्मन संधि के तहत मार्च 2009 में जर्मनी के कर अधिकारियों से मिली थी।

हलफनामे के अनुसार इन 12 ट्रस्टियों एवं इकाइयों में भारतीय मूल के 26 व्यक्ति शामिल थे। इन 26 मामलों में से 18 में आय कर विभाग ने जांच पूरी करके 17 मामलों में मुकदमा शुरू किया है। हलफनामे के अनुसार इनमें से एक कर दाता की मृत्यु हो चुकी है।

कोर्ट कालेधन के विषय में प्रख्यात वकील राम जेठमलानी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है। इस याचिका में जेठमलानी ने इस बैंक में खाता रखने वाले उन व्यक्तियों की सूची पेश करने का सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया था जिनके खिलाफ जांच आंशिक या पूरी तरह से खत्म हो चुकी है। इस बीच, जेठमलानी ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीशों के नाम कोर्ट को दिए जिन्हें देश में काले धन से संबंधित मामलों की जांच के लिए गठित होने वाले विशेष जांच दल का अध्यक्ष ओर उपाध्यक्ष बनाने पर विचार किया जा सकता है।

केंद्र सरकार को इससे पहले काले धन से संबंधित सारे मामलों की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित करने और काला धन जमा करने वाले व्यक्तियों के बारे में जर्मनी से मिली जानकारी का खुलासा करने सहित कई निर्देशों के बारे में कोर्ट के तीन साल पुराने आदेश पर अमल नहीं करने के कारण शीर्ष अदालत के आक्रोष का सामना करना पड़ा था।

जेठमलानी ने दावा किया कि वह उन लोगों के नाम भी रिकॉर्ड में ला सकते हैं जिनके खाते स्विट्जरलैंड में हैं और जो धनशोधन में संलिप्त हैं। उन्होंने कहा कि भारतीयों ने अकेले ही विदेशों में करीब 19 लाख करोड़ रूपए का काला धन जमा कर रखा है। कोर्ट ने जेठमलानी से कहा कि वह उनके कथन पर विचार करेगा। साथ ही कोर्ट ने उनसे कहा कि सुनवाई की अगली तारीख पर इस बारे में हलफनामा तैयार रखिए। इस पर जेठमलानी ने कहा कि उनका हलफनामा तैयार है और इसे वह कल दाखिल कर देंगे ताकि गुरुवार को सुनवाई के दौरान इस पर गौर किया जा सके। जेठमलानी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल दीवान ने सीलबंद लिफाफे में शीर्ष अदालत के तीन पूर्व न्यायाधीशों के नामों की सूची पेश की जिनके नामों पर काले धन के मामलों की जांच के लिए चार जुलाई, 2011 के फैसले में दिए गए निर्देशों के अनुरूप विशेष जांच दल का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष नियुक्त करने पर विचार किया जा सकता है।

इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही न्यायाधीशों ने कहा कि उन्हें शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश बीपी जीवन रेड्डी का एक पत्र मिला है। न्यायमूर्ति जीवन रेड्डी पहले विशेष जांच दल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था लेकिन बाद में उन्होंने अपनी असमर्थता व्यक्त कर दी थी। कोर्ट ने कहा कि इस पत्र के विवरण को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने केंद्र और याचिकाकर्ताओं से कहा था कि वे आपस में विचार विमर्श करके शीर्ष अदालत के ऐसे पूर्व न्यायाधीशों के नामों का सुझाव दें जो विशेष जांच दल का नेतृत्व करने के लिए तैयार हों।कोर्ट को सूचित किया गया कि शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एम बी शाह इस जांच दल के उपाध्यक्ष के रूप में काम करते रहने के लिये सहमत हो गए हैं।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

First Published: Tuesday, April 29, 2014, 17:47

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