वृहत बिजली नीति में बदलाव को कैबिनेट ने दी मंजूरी

वृहत बिजली नीति में बदलाव को कैबिनेट ने दी मंजूरी

नई दिल्ली : मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने वृहत बिजली नीति में संशोधन को आज मंजूरी दे दी। इसका लाभ उत्पादन कंपनियां कुछ अनिवार्य शर्तों को पूरा करने के बाद ही उठा सकती हैं।

बिजली मंत्रालय के वृहत बिजली नीति (मेगा पॉवर पॉलिसी) में बदलाव के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा, ‘वृहत बिजली नीति के तहत लाभ प्राप्त करने के लिये कंपनी को स्थापित क्षमता का कम-से-कम 65 प्रतिशत के लिये प्रतिस्पर्धी बोली के जरिये समझौता कर लेना होगा।’ उन्होंने कहा कि स्थापित क्षमता का शेष 35 प्रतिशत संबंधित राज्य की नीति के अनुसार नियमित शुल्क के जरिये होना चाहिए।

वृहत बिजली नीति के तहत 1,000 मेगावाट और उससे अधिक तथा 500 मेगावाट और उससे अधिक क्षमता की परियोजनाओं को शुल्क मुक्त उपकरण आयात की अनुमति है। कंपनियां ये लाभ अस्थायी वृहत बिजली परियोजना का स्थिति प्रमाणपत्र सौंपने के साथ 36 महीने की अवधि के लिये जमानत के रूप में किसी भी अनुसूचित बैंक से मियादी जमा की रसीद देने के बाद ही प्राप्त कर सकती हैं।

बिजली प्रणाली विकास कोष को मंजूरी
सरकार ने बिजली मंत्रालय के बिजली प्रणाली विकास कोष के परिचालन के प्रस्ताव को आज मंजूरी दे दी। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने संवाददाताओं से कहा कि बिजली प्रणाली विकास कोष (पीएसडीएफ) का उपयोग अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली पर दबाव कम करने के लिये ‘लोड डिसपैच सेंटर’ से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जरूरी पारेषण प्रणाली के निर्माण के लिये किया जाएगा। कोष का उपयोग ग्रिड में वोल्टेज प्रोफाइल में सुधार के लिये ‘शंट कैपिसिटर्स’, ‘सिरीज कैपिसिटर्स’ तथा अन्य ‘रिएक्टिव एनर्जी जेनरेटर्स’ की स्थापना में भी किया जाएगा।

सार्वजनिक वाहनों में सीसीटीवी, जीपीएस
बसों जैसी सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए जीपीएस और सीसीटीवी लगाने के प्रस्ताव को सरकार ने आज मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में यह प्रस्ताव मंजूर किया गया। बैठक के बाद वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने यहां संवाददाताओं को बताया कि हर सार्वजनिक वाहन पर जीपीएस प्रणाली लगायी जाएगी और यह योजना राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर एकीकृत प्रणाली के तहत काम करेगी।

उन्होंने बताया कि हर सार्वजनिक वाहन में आपातकालीन बटन होगा। वाहन में वीडियो रिकार्डिंग की सुविधा होगी। पहले चरण के तहत इस योजना में 10 लाख या उससे अधिक आबादी वाले 32 शहरों को शामिल किया जाएगा। चिदंबरम ने कहा कि 2011 की जनगणना के मुताबिक 53 शहरों की आबादी दस लाख या इससे अधिक है, उनमें से 32 शहरों को पहले चरण के तहत कवर किया जाएगा। बाकी शहरों को दूसरे चरण में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस योजना को दो साल में लागू किया जाएगा और इस पर कुल 1405 करोड रुपये की राशि खर्च होगी।

उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत बसों के रूट की मैपिंग और ट्रैकिंग की व्यवस्था होगी। हर बस में ‘पैनिक एलर्ट बटन’ लगा होगा। राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय वाहन सुरक्षा एवं ट्रैकिंग प्रणाली तथा राज्य स्तर पर शहर कमान एवं नियंत्रण केन्द्र की एक एकीकृत प्रणाली स्थापित की जाएगी। इस योजना का वित्तपोषण निर्भया फंड से किया जाएगा।


58 नए मेडिकल कॉलेज का प्रस्ताव मंजूर
मौजूदा जिला अस्पतालों का उन्नयन कर 58 नये मेडिकल कालेज बनाने के प्रस्ताव को सरकार ने आज मंजूरी दी।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने इस आशय का प्रस्ताव मंजूर किया। बैठक के बाद वित्त मंत्री पी चिदंबरम और सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने यहां संवाददाताओं को बताया कि जिला एवं रेफरल अस्पतालों से संबद्ध नये मेडिकल कालेज केन्द्र प्रायोजित योजना के तहत खोलने के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी है। उन्होंने बताया कि प्रस्ताव के तहत 58 नये मेडिकल कालेज खोले जाएंगे और हर कालेज में एमबीबीएस की 100 सीटें होंगी। इस प्रकार देश में एमबीबीएस सीटों में लगभग 5800 सीटों का इजाफा होगा। इस योजना में केन्द्र की ओर से 8457.40 करोड़ रूपये की राशि दी जाएगी जबकि राज्य और संघशासित क्षेत्र 2513.70 करोड़ रुपये देंगे। उन्होंने कहा कि एक मेडिकल कालेज बनाने में करीब 189 करोड रूपये का खर्च आएगा।

First Published: Thursday, January 2, 2014, 23:31

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