पासपोर्ट के लिए, गोद लेने संबंधी करार होना चाहिए वैध: कोर्ट

पासपोर्ट के लिए, गोद लेने संबंधी करार होना चाहिए वैध: कोर्ट

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि हर भारतीय नागरिक को विदेश यात्रा करने का मौलिक अधिकार प्राप्त है और गोद लेने संबंधी करार के अनिवार्य पंजीकरण के अभाव में किसी को भी पासपोर्ट से वंचित नहीं रखा जा सकता। न्यायमूर्ति मनमोहन ने एक याचिका पर फैसला करते हुए कहा कि पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए आवेदक की गोद लेने की प्रकिया कानूनी होनी चाहिए और इसका पंजीकरण होना अनिवार्य नहीं है। उन्होंने साथ ही पासपोर्ट प्राधिकरण को कानून के अनुरूप चार हफ्ते के भीतर याचिकाकर्ता के पासपोर्ट के अनुरोध पर फैसला लेने के निर्देश दिए।

न्यायपीठ ने कहा, अदालत का यह मानना है कि हर भारतीय नागरिक को विदेश यात्रा का मौलिक अधिकार प्राप्त है। हालांकि तय अधिकार उचित प्रतिबंधों के अधीन हैं लेकिन अदालत का यह मानना है कि प्रतिंबधों को कानून के अनुरूप होना चाहिए और ऐसा अनुचित नहीं हो सकता। अदालत का यह आदेश एक याचिका को लेकर आया जिसमें एक पासपोर्ट आवेदक ने कहा था कि पासपोर्ट कार्यालय ने इस आधार पर उसे पासपोर्ट देने से इनकार कर दिया कि उसके गोद लेने का करार जिसकी तारीख 20 सितंबर, 1989 है, उप रजिस्ट्रार के कार्यालय में पंजीकृत नहीं है। (एजेंसी)

First Published: Sunday, January 26, 2014, 16:06

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