Last Updated: Wednesday, January 22, 2014, 09:28

नई दिल्ली : स्वदेश निर्मित परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत कुछ ही सप्ताह में समुद्री परीक्षण के लिए उतरने वाली है और इसके साथ ही भारत तीनों क्षेत्रों में परमाणु क्षमता संपन्न बन जाएगा यानी उसे समुद्र, जमीन और हवा से परमाणु हमलों का जवाब देने की क्षमता मिल जाएगी।
नौसेना के सूत्रों ने कहा कि आईएनएस अरिहंत बंदरगाह पर स्वीकृति के परीक्षण के चरण से गुजर रहा है जहां उसने किसी गड़बड़ी का सामना नहीं किया। इसके बाद वह समुद्री परीक्षण के लिए तैयार है जो इस साल के आखिर तक पूरा होने की संभावना है।
असिस्टेंट चीफ ऑफ नेवी स्टाफ सबमरीन रियर एडमिरल एल. सरत बाबू ने संवाददाताओं से कहा कि आईएनएस अरिहंत हमें समुद्री रणनीतिक प्रतिरोध का विकल्प प्रदान करेगा। समुद्र, भूमि और हवा से परमाणु हमलों का जवाब देने की क्षमता रखना भारत के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि उसकी परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के संबंध में ‘पहले हमला नहीं करने’ की नीति है और उसके पास मजबूती से जवाब देने की क्षमता होना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि पनडुब्बी ने पिछले साल 10 अगस्त को अपने परमाणु रियेक्टर में काम शुरू होने के साथ एक बड़ी उपलब्धि अर्जित की थी और अगला मील का पत्थर तब होगा जब अरिहंत को समुद्री परीक्षण के लिए उतारा जाता है। बाबू ने कहा कि नौसेना इन गहन परीक्षण के दौरान हरसंभव सहायता प्रदान करेगी। रूस से लीज पर ली गई आईएनएस चक्र पनडुब्बी के संबंध में बाबू ने कहा कि यह पनडुब्बी करीब डेढ़ साल की अवधि में नौसेना को नौसेनिक परिचालन के पूरे दायरे में परमाणु संचालित पनडुब्बियों को शामिल करने की योग्यता को निखारने में मदद देती रही है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, January 22, 2014, 09:28