जाट आरक्षण: 9 राज्यों में सार्वजनिक सुनवाई करेगा पिछड़ा वर्ग आयोग

जाट आरक्षण: 9 राज्यों में सार्वजनिक सुनवाई करेगा पिछड़ा वर्ग आयोग

नई दिल्ली : राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) ने जाटों को केन्द्र सरकार की नौकरियों में आरक्षण देने के मामले में किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले नौ राज्यों में सार्वजनिक सुनवाई कराने का फैसला किया है। इस प्रकार, जाटों को आरक्षण की प्रक्रिया एक कदम और आगे बढ़ गई है। आयोग के इस कदम से एक महीने पहले सरकार ने उससे केन्द्र सरकार की नौकरियों में जाट समुदाय को आरक्षण देने के मामले में जल्द फैसला लेने के लिए कहा था। ऐसा माना जाता है कि जाट समुदाय के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की केन्द्रीय सूची में शामिल करने से कांग्रेस को चुनावों में फायदा होगा।

आयोग के सूत्रों ने कहा, हमने सार्वजनिक सुनवाई को लेकर नौ राज्यों की सरकारों को पत्र लिखा है। आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्य सुनवाई में मौजूद रहेंगे। इस सुनवाई का उददेश्य आम जनता का नजरिया जानना होगा। जाट समुदाय की जनसंख्या करीब नौ करोड़ है जो मूलत: गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड और बिहार में रहती है।

इसके अलावा, आयोग ने भारतीय सामाजिक विज्ञान शोध परिषद (आईसीएसएसआर) से जाटों की स्थिति पर अध्ययन के लिए कहा है। सूत्रों ने कहा कि आईसीएसएसआर दो हफ्तों में पिछड़ा वर्ग आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।

सूत्रों ने कहा कि आयोग सार्वजनिक सुनवाई पर आधारित रिपोर्ट भी तैयार करेगा। दोनों रिपोर्ट को एकसाथ मिलाकर फरवरी के अंत से पहले सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय को भेजा जाएगा। एक अधिकारी ने कहा कि इसके बाद, मंत्रालय केन्द्रीय कैबिनेट के सामने अपनी रिपोर्ट रखेगा।

केन्द्रीय कैबिनेट ने पिछले साल 19 दिसंबर को सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय के प्रस्ताव पर विचार किया था। वैसे कई राज्य जाटों को केन्द्रीय सूची में शामिल करने के लिए आयोग से गुहार लगा चुके हैं लेकिन ज्यादातर अनुरोध को या तो ठुकरा दिया या लंबित रखा गया है।

राजस्थान के दो जिलों में रहने वाले जाट समुदाय और गुजरात में इस्लाम धर्म को मानने वाले जाटों को छोड़कर बाकी के जाट समुदाय को केन्द्र सरकार की ओबीसी सूची के दायरे से बाहर रखा गया है।(एजेंसी)

First Published: Tuesday, January 21, 2014, 21:58

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