अध्यादेश को लेकर मेरे शब्द गलत हो सकते हैं, भावनाएं नहीं: राहुल । My language was wrong but sentiment was honest: Rahul Gandhi on ordinance row

अध्यादेश को लेकर मेरे शब्द गलत हो सकते हैं, भावनाएं नहीं: राहुल गांधी

अध्यादेश को लेकर मेरे शब्द गलत हो सकते हैं, भावनाएं नहीं: राहुल गांधीज़ी मीडिया ब्‍यूरो

अहमदाबाद : राहुल गांधी ने गुरुवार को स्वीकार किया कि दागी जनप्रतिनिधियों से जुड़े अध्यादेश की निंदा करने के लिए उन्होंने जो शब्द चुने वह गलत हो सकते हैं, उनकी भावनाएं नहीं।

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने संवाददाताओं से कहा कि मेरी मां (कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी) ने मुझसे कहा कि मैंने जिन शब्दों का इस्तेमाल किया वह गलत थे, मैंने जो शब्द इस्तेमाल किए वह सख्त हो सकते हैं, लेकिन भावनाएं गलत नहीं थीं। मैं युवा हूं। अध्यादेश को राहुल द्वारा सार्वजनिक रूप से बकवास बताकर कूड़े में फेंक देने की बात कहने और अध्यादेश तथा संबद्ध विधेयक के खिलाफ बढ़ते विरोध के कारण सरकार को इसे वापस ले लेना पड़ा।

राहुल ने कहा कि उन्हें अपनी बात कहने का हक है और दावा किया कि कांग्रेस पार्टी का ‘बड़ा हिस्सा’ अध्यादेश की वापसी चाहता था। उन्होंने अपनी बात का बचाव करते हुए कहा कि मुझे अपने विचार व्यक्त करने का हक है। कांग्रेस पार्टी का एक बड़ा तबका यही चाहता था। विपक्षी भाजपा की तरफ इशारा करते हुए राहुल ने कहा कि किसी गलत बात पर अपनी आवाज उठाने पर मुझे दोषी क्यों ठहराया जा रहा है। दरअसल संप्रग के कुछ घटक दलों, जिनमें राकांपा के शरद पवार और नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला शामिल हैं, ने घटनाक्रम का विरोध किया, जिसकी वजह से केबिनेट को अपना फैसला वापस लेना पड़ा।

राहुल ने दोषी ठहराए जाने के बाद संबंधित सदनों से जनप्रतिनिधियों को अयोग्य होने से बचाने के लिए लाए गए अध्यादेश को 'पूरी तरह बकवास' और 'फाड़कर फेंकने लायक कहा था। उन्होंने कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता अजय माकन के नई दिल्ली के प्रेस क्लब में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में अचानक पहुंच थे और अध्यादेश को फाड़कर फेंकने की बात कहकर राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था।

First Published: Thursday, October 3, 2013, 19:05

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