पितृत्व मामला : तिवारी की अर्जी पर सुनवाई से अलग हुए जज

पितृत्व मामला : तिवारी की अर्जी पर सुनवाई से अलग हुए जज

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एन डी तिवारी की ओर से दायर दो अपीलों पर सुनवाई करने से स्वयं को अलग कर लिया है। तिवारी ने पितृत्व वाद में अदालत से बाहर जिरह की उनकी याचिका को खारिज करने के पूर्व के आदेश को चुनौती दी थी।

न्यायमूर्ति गीता मित्तल ने कहा, ‘‘मैंने इस मामले के मूल पक्ष से जुड़े विषयों की सुनवाई की है। इसलिए याचिकाओं को दूसरे पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए।’’ इस मामले की सुनवाई अदालत ने 15 जनवरी को नियत की है। न्यायमूर्ति मित्तल और न्यायमूति दीपा शर्मा पीठ को 89 वर्षीय तिवारी की दो अलग अलग अपीलों पर शुक्रवार को सुनवाई करना था। यह अपील एक युवक की पितृत्व संबंधी याचिका पर एकल पीठ के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी जिसमें उन्हें जैविक पिता घोषित करने की मांग की गई थी।

उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश की पीठ ने 18 सितंबर 2013 को तिवारी की, अदालत से परिसर से बाहर नेहरू बाल भवन या उत्तरप्रदेश सदन या जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय युवा केंद्र में जिरह कराने संबंधी तिवारी की याचिका को खारिज कर दिया था। अदालत ने तिवारी को पितृत्व वाद पर साक्ष्य दर्ज कराने के लिए उच्च न्यायालय की ओर से नियुक्त स्थानीय कमिशनर के समक्ष उपस्थित होने को कहा था। हालांकि तिवारी उपस्थित नहीं हुए और आठ सप्ताह के लिए जिरह को स्थगित करने की अर्जी दायर की। अदालत ने इस याचिका को भी खारिज कर दिया। इन आदेशों से असंतुष्ट तिवारी ने आदेशों को रद्द करने के लिए खंडपीठ का द्वार खटखटाया।

उनकी एक याचिका में कहा गया है कि, उम्र संबंधी बीमारियों को देखते हुए अगर अपीलकर्ता (तिवारी) से जिरह उत्तरप्रदेश सदन या उत्तरप्रदेश भवन या राउज एवन्यू दिल्ली या लखनउ में कराने की अनुमति दी जाए तो यह कोई पक्षपात नहीं होगा। तिवारी ने आगे कहा कि वह जिरह लम्बे समय तक नहीं कर सकते क्योंकि वे थक जाते हैं। इससे पहले अदालत ने उन्हें एक सप्ताह के अंदर हलफनामा दाखिल करने के लिए अंतिम अवसर दिया था। (एजेंसी)

First Published: Sunday, January 12, 2014, 15:23

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