Last Updated: Saturday, April 12, 2014, 13:15
रामानुज सिंहतमाम विरोधी हमलों के बावजूद भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। शहरी मतदाताओं और व्यापारियों तक सीमित रहने वाली भाजपा का कारवां अब गांव-गांव पहुंच गया है। किसानों, मजदूरों और ग्रामीण युवकों के बीच इस लोकसभा चुनाव में नमो मंत्र का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है।
चुनावी माहौल के बीच जब मैं निजी दौरे पर अपने गृह प्रदेश बिहार गया तो ट्रेनों और बसों से भागलपुर, खगड़िया, बेगुसराय, सहरसा, मधेपुरा आदि जिलों का दौरा किया। यात्रा के दौरान वहां के स्थानीय लोगों से जब पूछा कि इस बार आप किसे वोट देंगे तो ज्यादातर लोगों ने यही कहा, अबकी बार मोदी सरकार। मेरी उत्सुकता बढ़ गई क्योंकि दिल्ली में बैठी भाजपा विरोधी पार्टियां मीडिया पर आरोप लगाती हैं कि सिर्फ मीडिया में ही मोदी की लहर है। मैंने तय किया कि दियारा क्षेत्र (दो नदियों के बीच का इलाका) जाकर वहां के लोगों की राय जानी जाए। इसके बाद सूदूर ग्रामीण इलाका पहुंचा, जहां अभी तक न तो बिजली की खंभे गड़े हैं और न ही पक्की सड़कें हैं। इन इलाकों में इस लोकसभा चुनाव से पहले मतदाता जातियों में विभाजित थी। मुझे लगा कि शायद इस बार भी यहां यही होने वाला है। जब लोगों से पूछना शुरू किया तो उन लोगों ने भी कहा, बहुत हो गया अब हमें विकास चाहिए, रोजगार चाहिए, नौकरी चाहिए। सबको देख लिया। अबकी बार मोदी को ही वोट देंगे।

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जहां आज तक हाथ, हाथ के बाद लालटेन, लालटेन के बाद तीर का बोलबाला रहा है, उस गढ़ में भी अबकी बार कमल खिलने वाला है। जन आकांक्षाओं को देखकर लोगों की राय जानने की इच्छा और तेज हो गई। इसके बाद खगड़िया, सहरसा, और मधेपुरा के बॉर्डर इलाके में पहुंचा। इन इलाकों के दलित बस्ती में लोगों ने मोदी को वोट देने की बात तो नहीं कही परन्तु भाजपा की सहयोगी दल लोजपा के प्रति अपनी आस्था जरूर व्यक्त की। दलितों को छोड़कर दूसरे लोगों के अलग-अलग मत थे। कोई राजद, तो कोई जदयू के बात कर रहा था। लेकिन उन लोगों में एक समानता देखने को मिली कि वे सभी मोदी को प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं। उन ग्रामीण मतदाताओं के बातचीत से पता चला कि वे लोग कितने जागरूक हैं। वे सिर्फ स्थानीय राजनीति की बात नहीं करते। उन लोगों ने देश की सुरक्षा, आतंकवाद, भारत-पाक संबंध, भ्रष्टाचार, महंगाई जैसे मुद्दों पर भी अपने विचार रखे।
जब मैंने ग्रामीणों से पूछा कि क्या नीतीश सरकार ने विकास का काम नहीं किया? तब उनका जबाव चौकाने वाला था। उनमें से एक ग्रामीण ने कहा, नीतीश ने विकास जरूर किया है। उनके कामों को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है, पर वे प्रधानमंत्री नहीं बन सकते हैं। देश में मजबूत और स्थिर सरकार चाहिए, जो मोदी के रूप में मिल सकता है। वहीं खड़े कुछ युवा मजदूरों ने कहा, हम गुजरात में काम करते हैं। हम लोग वहां का विकास देख चुके हैं। वहां 24 घंटे बिजली रहती है। पानी की दिक्कत नहीं है। सड़कें बहुत अच्छी हैं। लूटपाट और छीना झपटी नहीं होती है। इसलिए हम चाहते हैं कि बिहार भी गुजरात की तरह बने, इसलिए हम तो मोदी को ही वोट देंगे।
देश की राजनीति बदल रही है। मतदाताओं की सोच भी बदल रही है। अब लोग जाति, धर्म से ऊपर उठकर सोचने लगे हैं। क्योंकि लोग बेहतर जिंदगी जीना चाहते हैं। बेहतर जिंदगी के लिए अच्छी शिक्षा और रोजगार बहुत जरूरी है। यह तभी संभव है जब देश में अच्छी सोच वाली सरकार हो। जनता कांग्रेस के भ्रष्ट शासन से उब चुकी है। बिहार जैसे प्रदेश में जहां चुनावी राजनीति को जातीय समीकरण सबसे अधिक प्रभावित करता है, और वहां की जनता विकास की बात करे, गुजरात के विकास मॉडल का उदाहरण देकर बुनियादी सुविधाओं और विकास की बात करे तो अन्य प्रदेशों के मिजाज का अंदाजा सहज ही लगा सकते हैं।
First Published: Saturday, April 12, 2014, 13:15