'आम आदमी' ने रोका भाजपा का चौका

'आम आदमी' ने रोका भाजपा का चौका

'आम आदमी' ने रोका भाजपा का चौकारामानुज सिंह

पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में से तीन में भाजपा के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र नोदी की लहर साफ देखने को मिला। जिससे राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा पूर्ण बहुमत हासिल करने में सफल रही। लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में बहुमत का जादुई आकंड़ा छूने में सफल नहीं हो सकी। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर एक साल पहले बनी अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने भाजपा को चौका लगाने से रोक दिया। भाजपा बहुमत के लिए जरूरी 36 सीटों से पीछे रह गई। हालांकि दिल्ली में 32 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल रूप में उभरने में सफल रही।

भाजपा के नेताओं की माने तो देश में मोदी की लहर चल रही है। पांच राज्यों में हुए इस विधानसभा चुनावों को 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए सेमीफाइनल माना जा रहा है। राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा की जीत को मोदी फैक्टर माना जा सकता है, पर दिल्ली में मोदी की लहर को मानना मतदाता के साथ नाइंसाफी होगी। क्योंकि सीटों और वोट प्रतिशत पर गौर किया जाए तो दिल्ली के मतदाताओं ने कांग्रेस और भाजपा दोनों को नकारा दिया है और भारतीय राजनीति में एक नया संदेश दिया। जिस तरह देश भर में कांग्रेस विरोधी लहर चल रही है। उस हालात में देश की दूसरी बड़ी पार्टी भाजपा को दिल्ली में दो तिहाई बहुमत हासिल करना चाहिए था। इस जनादेश ने साफ कर दिया कि जनता ना सिर्फ कांग्रेस को बल्कि भाजपा को भी नापसंद करती है। वह एक ऐसे विकल्प की तलाश कर रही थी जो मंहगाई, भ्रष्टाचार और समाज को बांटने वाले तत्वों से निजात दिलाए। जो केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी के रूप में मिला।

केंद्र में लगातार 10 साल और दिल्ली में 15 साल के कांग्रेस के शासन के दौरान हुए भ्रष्टाचार से जनता ऊब चुकी थी। कभी कॉमनवेल्थ घोटाला सामने आता तो कभी टूजी घोटाला, तो कभी आदर्श घोटाला, तो कभी कोयला घोटाला, साथ ही बेतहाशा बढ़ती महंगाई के चलते जनता सरकार और कांग्रेस के खिलाफ आक्रोशित हो चुकी थी। इस घोटाले से भाजपा भी अछूती नहीं थी कर्नाटक में भाजपा सरकार के दौरान लौह माइंस घोटाला सामने आया फिर भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष नितिन गडकरी पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे। इस सारे मुद्दों के लेकर आम आदमी पार्टी जनता के बीच गई तथा कांग्रेस और भाजपा दोनों को भ्रष्ट पार्टी करार देने में सफल रही। जनता ने भी केजरीवाल की ईमानदार छवि को स्वीकारा। जिससे `आप` ने 28 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करने में सफलता पाई। वहीं कांग्रेस 8 सीटों पर सिमट कर रह गई।

आम आदमी पार्टी को यह जीत कोई खैरात में नहीं मिली। आप के कार्यकर्ताओं ने इसके लिए जमकर पसीना बहाया। दिल्ली के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम चलाई। इस मुहिम में उन सभी लोगों को जोड़ा जो महंगाई और भ्रष्टाचार से त्रस्त हो चुके थे। खास कर युवा, छात्र और गरीब तबका। जिसे आज तक लोकतंत्र का स्वाद चखने से महरूम रखा गया। `आप` कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर अपने पार्टी के एजेंडे को बताया। `आप` बिजली, पानी और रोजगार जैसे मूलभूत जरूरतों के मुद्दों को भाजपा से बेहतर तरीके भुनाने में सफल रही। जनता के लिए `आप` का इस तरह से समर्पण देखकर दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी को कांग्रेस और भाजपा का विकल्प माना। `आप` के चुनाव चिन्ह `झाड़ू` पर बटन दबाकर ना केवल प्रदेश की राजनीति में खलबली मचा दी बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी जनता के सामने कांग्रेस और भाजपा का विकल्प पेश कर दिया।

सच ही कहा गया हैः-
संघर्ष के बलबूते पर जंग की आजादी पलती है।
इतिहास उस और मुड़ जाता है, जिस और जवानी चलती है।।

जब दिल्ली विधानसभा चुनाव में युवा मतदाताओं ने दम दिया तो दिल्ली का सिंहासन डोल गया। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी चिंतित हो गए। युवराज ने तो यहां तक कह दिया कांग्रेस को आम आदमी पार्टी से सीखने की जरूरत है। उधर 15 साल से दिल्ली की गद्दी पर कब्जा जमाए शीला दीक्षित ने कहा, मुझसे बेवकूफी हो गई कि `आप` को नजरअंदाज कर दिया। दूसरी ओर ईमानदारी के प्रतीक केजरीवाल ने शीला को 25864 वोटों से हराकर राजनीति के बड़े-बड़े सूरमाओं को अईना दिखा दिया। `संभल जाओ नहीं तो आपका का भी यही हश्र होने वाला है।`

First Published: Monday, December 9, 2013, 13:44

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