Last Updated: Tuesday, October 23, 2012, 16:49

नई दिल्ली : वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मंगलवार को बैंकों और वित्तीय संस्थानों से कहा कि वे गरीबों को ऋण देने से न हिचकें क्योंकि वे ईमानदार कर्जदार होते हैं और ऋण चुकाने में चूक नहीं करते।
उन्होंने एक समारोह में कहा, मैं कई बार यह बात कह चुका हूं, भारत के गरीब कर्जदार ऋण चुकाने में गड़बड़ी नहीं करते, भारत के गरीब बेईमान कर्जदार नहीं हैं, भारत की गरीब आबादी नैतिक और ईमानदार है और वह कर्ज पाने की हकदार है। इसलिए हमें गरीबों को और ज्यादा ऋण सहायता देनी चाहिए।
मंत्री ने कहा कि बड़ी कंपनियों को 1,000 करोड़ रुपए का ऋण भी आसानी से मिल जाता जबकि गरीबों को दिक्कत का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा, दरअसल बड़ी कंपनियां आसानी से 1,000 करोड़ रुपए का ऋण जुटा सकती हैं। ऐसा भी हो सकता है कि वे ऋण न चुकाएं। कहानी कुछ ऐसा है कि यदि आप छोटे कर्जदार हैं तो आप बैंक के पीछे भागते हैं और यदि बड़े कर्जदार हैं तो बैंक आपके आगे-पीछे चक्कर लगाता है।
वित्त मंत्री ने कहा कि यदि कंपनियां ऋण नही चुका पातीं तो बैंकों को नुकसान होता है कर्जदार को नहीं। उन्होंने कहा, लेकिन ऐसा गरीब कर्जदार के मामले में नहीं होता। उनके पास गलती का कोई मौका नहीं होता। छोटे कर्जदार को थोड़ी सा कर्ज लेना होता, इसके लिए कुछ ज्यादा ही ब्याज दर का भुगतान करना होता है, पैसे कमाने होते हैं और समय पर ऋण का भुगतान करना होता है क्योंकि ऐसा न किया तो दूसरी बार कर्ज नहीं मिलेगा।
चिदंबरम ने गरीबों को ऋण देने पर जोर देते हुए कहा कि उन्होंने कई मौकों पर खुद देखा है कि स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के लोग और शिक्षा ऋण लेने वाले लोग अपने कर्ज का भुगतान करते हैं।
ऊंची ब्याज दर पर साहूकारों से धन लेने वाले ऋणदाताओं की मुश्किलों के संबंध में वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने वंचित वर्ग को औपचारिक बैंकिंग नेटवर्क के दायरे में लाने के लिए कदम उठाया है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, October 23, 2012, 16:49