Last Updated: Thursday, December 13, 2012, 23:11

नई दिल्ली: आर्थिक वृद्धि को गति देने और निवेश के रास्ते में आने वाली अड़चनों को दूर करने के लिये सरकार ने बड़ी परियोजनाओं को जल्द मंजूरी देने को लेकर मंत्रिमंडल की निवेश समिति गठित करने और औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिये भूमि अधिग्रहण विधेयक के मसौदे को गुरुवार को मंजूरी दे दी।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इसके साथ ही यूरिया क्षेत्र के लिये नई निवेश नीति को भी हरी झंडी दे दी। इस नीति में मौजूदा यूरिया कारखानों के विस्तार और नये उर्वरक संयंत्रों को लगाने के लिये उद्यमियों को प्रोत्साहन मिलेगा।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में आज दिल्ली और मुंबई सहित शेष बचे चार सर्किलों में स्पेक्ट्रम नीलामी के लिये आधार मूलय में 30 प्रतिशत कटौती के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी गई।
सरकार के ये फैसले अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये पिछले कुछ महीनों में किये गये अनेक प्रयासों को और मजबूती देते हुये सामने आये हैं। निवेशकों के विश्वास को मजबूत करने के लिये सरकार ने पिछले दिनों कई कदम उठाये हैं।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि 1,000 करोड़ रुपये अथवा इससे अधिक की बड़ी परियोजनाओं के निवेश प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिये प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की निवेश संबंधी समिति के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। इस समय 1,000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश वाली करीब 100 निवेश परियोजनायें लटकी पड़ी हैं।
वित्त मत्री पी. चिदंबरम ने सबसे पहले इस तरह के एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति के गठन का प्रस्ताव किया था। उन्होंने इसे राष्ट्रीय निवेश बोर्ड का नाम दिया था। मंत्रिमंडल ने हालांकि, इसके नाम को बदलते हुये इसे मंत्रिमंडल की निवेश मामलों की समिति नाम दिया है।
बहरहाल, मंत्रिमंडल ने प्रस्तावित एनआईबी का नाम मंत्रिमंडल की निवेश समिति करने का निर्णय किया। समिति में बुनियादी ढांचा क्षेत्रों से जुड़े विभागों के मंत्री इसके सदस्य होंगे। पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने इस बारे में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर एनआईबी गठित करने को लेकर अपनी आपत्ति जतायी थी। उन्होंने कहा था कि ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए जिससे बड़ी परियोजनाओं के लिये जरूरी हरित मंजूरी को नजअंदाज किया जाए।
सीसीआई गठित करने के निर्णय पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि जो प्रतिबद्धता जतायी गयी थी, पूरी हुई है। संवाददाताओं से बातचीत में सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि मंत्रिमंडल की निवेश समिति को 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश वाली परियोजनाओं को मंजूरी देने का अधिकार दिया गया है। इसका उद्देश्य परियोजनाओं को मंजूरी देने की प्रक्रिया में तेजी लाना है। इसके अलावा मंत्रिमंडल ने विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक को हरी झंडी दे दी। विधेयक में निजी क्षेत्र की परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण होने पर क्षेत्र के 80 प्रतिशत लोगों की सहमति लेने का अनिवार्य प्रावधान किया गया है।
सार्वजनिक.निजी साझीदारी परियोजनाओं के मामले में क्षेत्र के 70 प्रतिशत लोगों की सहमति लेने का प्रावधान किया गया है। विधेयक के प्रारुप के अनुसार क्षेत्र के जिन लोगों की जमीन का अधिग्रहण किया जायेगा उनमें से 70 प्रतिशत की सहमति जरुरी होगी।
जहां एक तरफ उद्योग जगत ने मंत्रिमंडल के इस निर्णय का स्वागत किया है वहीं रीयल एस्टेट कंपनियों ने नकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। रीयल एस्टेट कंपनियों का कहना है कि सहमति का प्रावधान कड़ा है और इससे जमीन की कीमत बढ़ेगी।
साथ ही मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने यूरिया निवेश से संबद्ध नई नीति को मंजूरी दे दी। इसके तहत उर्वरक कंपनियों को नया कारखाना लगाने तथा मौजूदा संयंत्रों की क्षमता बढ़ाने के लिये प्रोत्साहित किया जायेगा। देश अपनी कुल जरूरत का 30 प्रतिशत से अधिक यूरिया आयात करता है और नई निवेश नीति का उद्देश्य आयात पर निर्भरता कम करना है। नीति से मौजूदा कीमतों पर प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है।
इसके अलावा मंत्रिमंडल ने दिल्ली और मुंबई सहित चार सर्किलों में दूरसंचार स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए आधार मूल्य में 30 प्रतिशत की कटौती का प्रस्ताव मंजूर कर लिया। पिछली नीलामी में इन सर्किलों में स्पेक्ट्रम के लिए कोई बोली नहीं मिली थी।
पिछले महीने कराई गयी नीलामी में दिल्ली, मुंबई, कर्नाटक और राजस्थान में स्पेक्ट्रम का कोई लिवाल सामने नहीं आया था। कंपनियों को शिकायत थी कि इन सर्किलों में आधार मूल्य बहुत उंचा रखा गया।
उसके बाद, एक मंत्रिस्तरीय समिति ने इन चार सर्किलों में 1,800 मेगाहट्र्ज बैंड में स्पेक्ट्रम के लिए आधार मूल्य में 30 प्रतिशत कटौती की सिफारिश की थी।
साथ ही सीसीईए ने सार्वजनिक क्षेत्र की फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स आफ ट्रावनकोर :फैक्ट: को जून 2013 तक अतिरिक्त सब्सिडी देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
मंत्रिमंडल की बुनियादी ढांचा समिति ने सड़क परियोजनाओं को तेजी से आवंटित करने के लिये प्रक्रियाओं को सरल बनाने का निर्णय किया है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, December 13, 2012, 23:11