‘धूल और गैस से भरी है वलयाकार आकाशगंगा’

‘धूल और गैस से भरी है वलयाकार आकाशगंगा’

‘धूल और गैस से भरी है वलयाकार आकाशगंगा’ वाशिंगटन : अंतरिक्षविज्ञानियों ने नासा-ईएसए के हब्बल दूरबीन के माध्यम से नई ढीली-ढाली वलयाकार आकाशगंगा का पता लगाने का दावा किया है जिसमें गैस और धूल भरे हैं।

नासा ने एक बयान में कहा कि हाइड्रा के दक्षिणी छोर पर ईएसओ 499-जी37 नामक आकाशगंगा है। यूरोपीयन साउदर्न ऑब्जर्वेटरी और उप्पसाला ऑब्जेर्वेटरी ने मिलकर ईएसओ 1 मीटर स्कीमडिट दूरबीन के माध्यम से इसका पता लगाया।

आकाश गंगा की भुजाओं में विशाला मात्रा में गैस और धूल हैं और बहुधा ऐसे क्षेत्र होते हैं जहां नए तारे लगातार बनते रहते हैं।

आकाशगंगा का सबसे महत्वपूर्ण लक्षण है उसका चमकता लंबा केंद्रक। उभरा हुए केंद्रीय क्षेत्र में तारों का सबसे अधिक घनत्व है जहां तुलनात्मक दृष्टि से बड़ी संख्या में ठंडे पुराने तारे हैं।

कई वलयाकार आकाशगंगाओं में एक साझा लक्षण है - उनके केंद्र के आरपार आती जाती छड़ जैसी आकृति। इसके बारे में माना जाता है कि यह भुजाओं से केंद्र की ओर गैस खींचती है और तारे का निर्माण तेज होता है।

हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि ईएसओ 499-जी37 का केंद्रक छड़ जैसी इसी आकृति का है। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, November 27, 2012, 13:36

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