Last Updated: Tuesday, July 10, 2012, 10:39

काहिरा : मिस्र की शीर्ष अदालत ने संसद बहाल करने संबंधी राष्ट्रपति मोहम्मद मुरसी के आदेश पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उसके सभी फैसले सरकारी संस्थानों के लिए बाध्यकारी हैं। एक दिन पहले ही नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने न्यायपालिका और सेना से टकराव मोल लेते हुए संसद को बहाल कर दिया था।
संसद को बहाल करने संबंधी राष्ट्रपति के फैसले ने लोगों को चौंका दिया और इसको लेकर सवाल किए जाने लगे कि यह आदेश कानूनी तौर पर कितना खरा उतर सकेगा। मिस्र की सर्वोच्च संवैधानिक अदालत ने अपने पूर्व के आदेश के खिलाफ राष्ट्रपति के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उसके (अदालत के) सभी आदेश अंतिम और बाध्यकारी हैं।
अदालत ने कहा कि इन फैसलों के खिलाफ अपील नहीं की जा सकती। साथ ही अदालत ने जोर देते हुए कहा कि ये फैसले सभी सरकारी संस्थानों के लिए बाध्यकारी हैं।
यह बयान संसद के स्पीकर साद अल.कतानी के कल से संसद का सत्र बुलाने के बाद आया। अदालत ने हालांकि इस बात पर जोर दिया कि यह ‘किसी राजनीतिक संघर्ष का हिस्सा नहीं है, लेकिन उसके कर्तव्य की सीमा संविधान की रक्षा है। मिस्र की सेना ने भी कहा कि संसद भंग करने को लेकर संविधान और कानून का पालन होना चाहिए। सुप्रीम काउंसिल आफ द आर्म्डन फोर्सेस (एससीएएफ) ने हाल के घटनाक्रमों की पृष्ठभूमि में संविधान के महत्व को रेखांकित किया। उधर टकराव की खबरों के बीच राष्ट्रपति मुरसी और फील्ड मार्शल हुसैन तंतावी दोनों आज सशस्त्र बल के एक कार्यक्रम में शामिल हुए।
न्यायपालिका ने स्पष्ट कर दिया है कि वह पीछे हटने के मूड में नहीं है लेकिन सैन्य परिषद ने अभी तक अपना रूख स्पष्ट नहीं किया है। इस बीच बर्खास्त राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक के दो पुत्र भ्रष्टाचार के एक नए मामले के सिलसिले में आज अदालत में पेश हुए। इसके पहले दोनों को एक अन्य मामले में बरी कर दिया गया था। मुबारक के दोनों पुत्र जेल के कपड़ों में अदालत में पेश हुए। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, July 10, 2012, 10:39