Last Updated: Friday, November 23, 2012, 16:24
काहिरा : मिस्र के राष्ट्रपति मोहम्मद मुरसी ने अपने पास व्यापक शक्तियां रखी हैं और उन्हें लोग ‘नया फराओ’ कहने लगे हैं। इसे बदलाव की बयार से मिले लाभ पर खतरा माना जा रहा है जो हुस्नी मुबारक के तानाशाही शासन के खात्मे से हासिल हुए थे।
मुरसी ने कल संवैधानिक घोषणा कि जिसमें उन्हें व्यापक शक्तियां मिली हैं। उन्होंने मुबारक शासन के खिलाफ 2011 के विद्रोह के दौरान प्रदर्शनकारियों की हत्या में शामिल अधिकारियों पर फिर से मुकदमा चलाने के भी आदेश दिए।
हमास और इजरायल के बीच संघषर्विराम कराने के लिए विश्व के नेताओं से मिली सराहना के एक दिन बाद उन्होंने यह फैसला किया है।
कल की संवैधानिक घोषणा से देश में एक तीखी बहस शुरू हो गई है। जहां उनके समर्थक् ‘क्रांतिकारी ’ बता रहे हैं वहीं विपक्ष ने राष्ट्रव्यापी प्रदर्शनों का आह्वान किया है।
घोषणा में यह भी कहा गया है कि कोई भी अदालत संवैधानिक सभा को भंग नहीं कर सकती जो नए संविधान निर्माण में लगी है। संविधान सभा का कार्यकाल भी दो माह के लिये बढा दिया गया है।
61 वर्षीय मुरसी ने मुख्य अभियोजक को बर्खास्त कर मुबारक के शासनकाल के दौरान प्रदर्शनकारियों पर हमला करने वाले लोगों पर फिर से मुकदमा चलाए जाने का आदेश दिया है।
घोषणा के अनुसार प्रदर्शनकारियों की हत्या अथवा उनके खिलाफ हिंसा की सभी जांच दोबारा होंगी। अभियुक्तों पर फिर से मुकदमा चलेगा । 30 जून 2012 को मुरसी के सत्ता ग्रहण करने के बाद से की गई सभी संवैधानिक घोषणाओं कानूनों और शासनादेशों के खिलाफ अपील नहीं की जा सकती और कोई व्यति अथवा राजनीतिक अथवा सरकारी निकाय उन्हें रद्द नहीं कर सकता।
राष्ट्रपति को जो भी कदम राष्ट्रीय एकता अथवा राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाये रखने के लिये उचित लगता है वह उठा सकता है।
घोषणा पत्र का सार यह है कि मुरसी को मिली शक्तियां उन्हें लगभग एकछत्र राज का अवसर देती है।
मिस्र के विपक्ष के नेता मोहम्मद अलबरदारी ने मुरसी पर ‘नए फराओ’ की तरह काम करने का आरोप लगाया है । उन्होंने कहा कि नई घोषणा जाहिराना तौर पर उन्हें कानून से उपर रखती हैं। (एजेंसी)
First Published: Friday, November 23, 2012, 16:24