Last Updated: Monday, December 3, 2012, 18:40
नई दिल्ली : नौसेना प्रमुख एडमिरल डी के जोशी ने आज कहा कि वर्तमान समय में रूस में परीक्षणों के दौर से गुजर रहे बहुप्रतिक्षित विमानवाहक पोत एडमिरल गोर्शकोव को अगले साल के अंत तक भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया जायेगा ।
एडमिरल जोशी ने वाषिर्क नौसेना दिवस पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा कि घरेलू स्तर पर विकसित की जा रही परमाणु इर्ंधन चालित पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत के संबंध में ‘देश के लिये अच्छी खबर है’। इसे ‘बहुत जल्द’ बना लिया जायेगा ।
उन्होंने कहा, आईएनएस विक्रमादित्य (एडमिरल गोर्शकोव) को सौंपे जाने में देरी है जिसने हाल के दिनों में 100 दिनों तक समुद्री यात्रा की है और इसने अपने ज्यादातर उपकरणों का और विमानन परीक्षण पूरा कर लिया है । इस विमानवाहक पोत को सौंपे जाने का पुनरीक्षित कार्यक्रम वर्ष 2013 की अंतिम तिमाही है। एडमिरल जोशी ने आईएनएस अरिहंत की वर्तमान स्थिति के बारे में कहा, हमें आशा है कि जल्द ही देश को अच्छी खबर मिलेगी। अरिहंत को जल्द ही समुद्री परीक्षण के लिये उतारा जा सकता है ताकि भारत के परमाणु त्रय को पूरा किया जा सके और विश्वसनीय तथा अभेद्य जवाबी हमले की क्षमता को हासिल किया जा सके।
एडमिरल जोशी ने स्वीकार किया कि घरेलू विमानवाहक पोत के विकास में विलंब हुआ है और कहा कि यह परियोजना अंतत: कोच्चि पोत निर्माण कारखाने में ‘गति पकड़ रही है ।’ अगले एक साल में नौसेना में शामिल किये जाने वाले हथियारों के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 2013 में हम एक कोलकाता श्रेणी के डेस्ट्रायर, एक पी-28 पनडुब्बी रोधी लड़ाकू युद्धपोत, एक सर्वेक्षण जहाज, एक अपतटीय निगरानी जहाज और 16 फास्ट इंटरसेप्टर क्राफ्ट को शामिल कर सकते हैं ।’’ जोशी ने कहा कि नौसेना जितने जहाजों को सेवा से हटा रही है उसकी तुलना में ज्यादा जहाजों को शामिल कर रही है । उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हालांकि उसकी पनडुब्बियां पुरानी है फिर भी उनमें काफी क्षमता है और उन्हें समय समय पर उन्नत किया जा रहा है ।
उन्होंने कहा कि ज्यादातर पनडुब्बियों को उन्नत किया जा चुका है और उनमें वह क्षमतायें शामिल की गई हैं जो उनमें अब तक नहीं थीं । भारतीय विमानवाहक पोत-2 परियोजना के बारे में नौसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हम इस पर :आईएसी-2: अभी कुछ वषरे से काम कर रहे हैं । हमें आशा है कि अगले साल किसी समय इसे अनुमति मिल सकती है ।’’
उल्लेखनीय है कि भारत और रूस ने वर्ष 2004 में 45 हजार टन वजन वाले गोर्शकोव के लिये 94 करोड़ 70 लाख डालर का समझौता किया था । इस समझौते को बाद में पुनरीक्षित कर इसे 2.3 अरब डालर का कर दिया गया । कीव श्रेणी के इस विमानवाहक पोत को वर्ष 2008 में शामिल किया जाना था लेकिन तब से इसे सौंपे जाने में देरी हो रही है । एडमिरल जोशी ने कहा कि नौसैनिकों की संख्या बढ़ाये जाने की योजना है । इसके तहत तीन साल के अंदर अधिकारी कैडर की संख्या आठ हजार से 10 हजार की जाएगी और नाविकों की संख्या भी इसी तरह से बढ़ाई जायेगी ।
उन्होंने कहा कि स्कार्पियन पनडुब्बी के निर्माण में आ रही बाधाओं को खत्म करने के लिये प्रयास किये जा रहे हैं । अमेरिका की बोइंग कंपनी से लंबी दूरी तक निगरानी करने वाले विमानों पी8-आई के हासिल किये जाने के बारे में जोशी ने कहा कि इसे अगले साल शामिल किये जाने का कार्यक्रम है ।
नौसेना के लिये तटीय सुरक्षा को एक बड़ी जिम्मेदारी रेखांकित करते हुये उन्होंने कहा कि सागर प्रहरी बल में पहले ही एक हजार जवानों को शामिल किया जा चुका है जो फास्ट इंटरसेप्टर क्राफ्ट पर तैनात होंगे । (एजेंसी)
First Published: Monday, December 3, 2012, 18:40