Last Updated: Wednesday, June 19, 2013, 23:30
ज़ी मीडिया ब्यूरो देहरादून/दिल्ली: उत्तराखंड में अप्रत्याशित वर्षा और बादल फटने के बाद भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ के कारण अभी हजारों लोग लापता बताए जा रहे हैं। इस प्राकृतिक आपदा से अब तक 150 से ज्यादा लोगों की जान गई है और 62,000 से अधिक तीर्थयात्री व पर्यटक फंसे हुए हैं। यह जानकारी अधिकारियों और आपदा में जीवित बचे लोगों ने दी है।
भयंकर आपदा से आहत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने बताया कि यह एक ऐसी त्रासदी है जिसकी तीव्रता ने मुझे स्तब्ध कर दिया है। बहुगुणा ने कहा कि केदारनाथ के रास्ते में 18 किलोमीटर का पहाड़ी रास्ता ध्वस्त हो गया है और कम से कम एक वर्ष तक तीर्थयात्रा संभव नहीं है। केदारनाथ हिंदुओं का सबसे पवित्र तीर्थस्थल है। बुधवार को मौसम साफ होने के बाद मौसम साफ होने के बाद तबाही का शिकार बने केदारनाथ कस्बे में फंसे तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए सेना और अर्धसैनिक बल राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर सकी।
उत्तराखंड में बाढ़ की सबसे ज्यादा विभीषिका झेलने वाले केदारनाथ में मंदिर गर्भगृह को छोड़कर कुछ नहीं बचा है और मंदिर समिति के अध्यक्ष का मानना है कि इस पवित्र धाम को फिर से बसाने में दो से तीन साल लग जाएंगे। बाढ़ में सबसे ज्यादा तबाही केदारनाथ में ही हुई है। इस हादसे में हजारों लोग अब भी लापता हैं और युद्धस्तर पर बचाव अभियान का कार्य जारी है। साथ राहत पहुंचाने का कार्य भी जोरशोर से किया जा रहा है। वहीं, गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह के अनुसार, केदारनाथ के आस-पास के क्षेत्रों में फंसे लोगों को बचाने के काम में 22 हेलिकॉप्टरों को लगाया गया है।
उधर, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को उत्तराखंड के बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया। प्रधानमंत्री ने हवाई सर्वेक्षण के बाद उत्तराखंड के लिए 1000 करोड़ रुपये की मदद का ऐलान किया। राज्य में बाढ़ राहत के लिए 145 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए। साथ ही, जिनके मकान पूरी तरह टूटे व बहे, उन्हें एक लाख रुपये की मदद और मृतकों के परिजनों को दो लाख रुपये मुआवजा देने की भी घोषणा की गई।
बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष और श्रीनगर के विधायक गणेश घौडियाल ने श्रीनगर (उत्तराखंड) से फोन पर बताया कि मंदिर के भीतर कोई नुकसान नहीं हुआ है। लिंग पूरी तरह सुरक्षित है, लेकिन बाहर जमा मलबे का रेत और पानी मंदिर के भीतर घुस गया है। उन्होंने कहा कि मंदिर के भीतर शरण लेने वाले करीब 250-300 लोगों को भी कोई नुकसान नहीं हुआ है। लेकिन मंदिर के आसपास कुछ नहीं बचा। मंदिर समिति का कार्यालय, धर्मशालाएं और भंडार गृह सब नष्ट हो गया है। मंदिर परिसर में करीब 12 से 14 हजार यात्रियों के रुकने का इंतजाम था लेकिन अब कुछ नहीं बचा।
घौड़ियाल ने कहा कि सिर्फ केदारनाथ क्षेत्र में ही 1000 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान का आकलन है। सारा बुनियादी ढांचा खत्म हो गया है, जिसे वैज्ञानिक तरीके से नए सिरे से बसाने में दो से तीन साल लग जाएंगे क्योंकि वहां साल में सिर्फ दो या तीन महीने ही काम हो सकता है। मंदिर के दरवाजों के क्षतिग्रस्त होने के बारे में पूछने पर घौड़ियाल ने कहा कि दरवाजे निकालकर रखे गए हैं ताकि पानी निकल सके। उन्होंने कहा कि उन्हें निकालकर रखा गया है ताकि पानी उत्तर से दक्षिण की ओर निकल सके। केदारनाथ जा रहे घौड़ियाल ने बताया कि मंदिर समिति के भी 19 कर्मचारियों का पता नहीं चल पा रहा है।
उन्होंने कहा कि केदारनाथ में मौजूद हमारे 17 कर्मचारी और वहां मुआयने के लिये गए दो अधिकारी गायब हैं। फिलहाल प्राथमिकता फंसे हुए यात्रियों को सुरक्षित निकालने और लापता लोगों को तलाशना है। असल नुकसान का आकलन तो बाद में होगा। उन्होंने यह भी कहा कि बद्रीनाथ में मंदिर और परिसर सुरक्षित है लेकिन लोगों में दहशत फैल गई है। उन्होंने कहा कि बद्रीनाथ मंदिर के पीछे की ओर पानी का एक नया स्रोत फूटा है और भारत तिब्बत सीमा पुलिस की मदद से उसका मुंह दूसरी तरफ मोड़ा गया है। मंदिर को बाढ़ में कोई नुकसान नहीं पहुंचा है लेकिन लोग दहशत में है और उन्हें लगातार ढांढस बंधाया जा रहा है।
उधर, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के महानिदेशक अजय चड्ढा ने आज कहा कि उत्तराखंड में बारिश और बाढ़ से उत्पन्न हालात काफी गंभीर हैं और यहां पहले कभी ऐसा नहीं हुआ। चडढा ने कहा कि आज मौसम में सुधार है इसलिए बचाव कार्य में तेजी आएगी। आईटीबीपी की तीन बटालियनें (लगभग 3000 जवान) राज्य में तैनात की गई हैं। इन बटालियनों ने हजारों लोगों को सुरक्षित बचाया है।
केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह और मंत्रालय के अन्य अधिकारियों के साथ बाढ़ प्रभावित इलाकों के हवाई सर्वेक्षण पर रवाना होने से पहले चडढा ने कहा कि उत्तराखंड में हालात काफी गंभीर हैं। कई वजहों मसलन बादल फटने, लगातार बारिश और चट्टान सरकने से ऐसे हालात बने हैं। उन्होंने बताया कि आईटीबीपी ने गोविन्दघाट इलाके से लगभग 4000 लोगों को सुरक्षित बचाया है। चडढा ने कहा कि यह कहना मुश्किल होगा कि कितने लोग अभी बाढ़ में फंसे हैं और कितनों को सुरक्षित बचाया गया है क्योंकि कई एजेंसियां राहत अभियान में लगी हैं। उन्होंने कहा कि जरूरत पडने पर उत्तराखंड या हिमाचल प्रदेश के लिए आईटीबीपी के अतिरिक्त जवान तैयार हैं। हिमाचल में हालात इतने गंभीर नहीं हैं।
उत्तराखंड में हुई भारी वर्षा और बाढ़ के कारण गढ़वाल के श्रीनगर इलाके में सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की प्रशिक्षण अकादमी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई और प्रारंभिक आकलन के अनुसार इसे करीब 90 करोड़ रूपये का नुकसान हुआ है। भारी वर्षा के कारण अलकनंदा नदी का मार्ग बदल जाने और इस परिसर पर छह फुट ऊंची गाद गिरने के कारण अकादमी के मुख्य भवन इलाके और परिसर को भारी क्षति हुई है। एसएसबी के प्रमुख अरुण चौधरी ने बताया कि उत्तराखंड में हमारी अकादमी को भारी नुकसान पहुंचा है। सौभाग्यवश कोई हताहत नहीं हुआ और हमने अपने अधिकारियों एवं अन्य कर्मियों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया था।
First Published: Wednesday, June 19, 2013, 18:05