Last Updated: Monday, February 6, 2012, 09:48
नई दिल्ली : 2जी स्पेक्ट्रम मामले में 122 लाइसेंसों को रद्द करने के शीर्ष अदालत के फैसले को न्यायिक अधिकारों से परे बताने संबंधी आलोचना को दरकिनार करते हुए न्यायमूर्ति एके गांगुली ने सोमवार को कहा कि अदालतें उन नीतिगत फैसलों की निश्चित रूप से जांच-पड़ताल कर सकती हैं और उन्हें रद्द कर सकती हैं, जो असंवैधानिक हैं।
न्यायमूर्ति गांगुली शीर्ष अदालत की दो सदस्यीय पीठ में शामिल थे, जिसने 2जी स्पेक्ट्रम के 122 लाइसेंसों को हाल ही में रद्द कर दिया।
उन्होंने कहा कि हमारे संविधान के तहत न्यायिक समीक्षा इसका एक बुनियादी लक्षण है और इस तरह की न्यायिक समीक्षा करते हुए अदालत कार्यपालिका के उन नीतिगत फैसलों की निश्चित रूप से पड़ताल कर सकती हैं और उन्हें निरस्त कर सकती हैं जो असंवैधानिक हैं। बीते गुरुवार को ही सेवानिवृत्त हुए न्यायमूर्ति गांगुली ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और जानेमाने वकील सोमनाथ चटर्जी की टिप्पणी पर यह प्रतिक्रिया दी।
चटर्जी ने कहा था कि अदालतें कार्यपालिका की नीतियों और फैसलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं भले ही उनमें व्यापक जनहित की बात हो। न्यायमूर्ति गांगुली ने कोलकाता के एक अखबार में प्रकाशित अपने लेख में कहा कि चटर्जी का यह बयान वाकई चौंकाने वाला है कि अदालत व्यापक जनहित में भी कार्यपालिका की नीतियों और फैसलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं और ऐसा करके अदालत खुद को संविधान से ऊपर मानती हैं।
(एजेंसी)
First Published: Monday, February 6, 2012, 15:18