जनसेवकों पर लोकपाल कसेगा कानूनी शिकंजा

जनसेवकों पर लोकपाल कसेगा कानूनी शिकंजा

जनसेवकों पर लोकपाल कसेगा कानूनी शिकंजानई दिल्ली : लोकपाल को किसी भी जनसेवक के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने का अधिकार होगा। संसद की एक समिति ने विधेयक के एक प्रावधान में संशोधन कर इस बात की सिफारिश की है। इसमें कहा गया है कि लोकपाल को आरोप तय करने के लिए किसी पूर्व अनुमति की जरूरत नहीं है।

लोकपाल पर राज्यसभा की प्रवर समिति की यह सिफारिश सरकार द्वारा अपनाए गए इस रवैये की पृष्ठभूमि में आई है कि लोकपाल विधेयक में पूर्व अनुमति को समाप्त करने का प्रावधान ‘संरक्षण के सिद्धांत’ के खिलाफ है।

लोकसभा द्वारा पारित विधेयक की जांच पड़ताल करने के मौके पर विधि मंत्रालय ने समिति से कहा था,‘पूर्व अनुमति की जरूरत को समाप्त करने का प्रस्ताव, जहां मुकदमा चलाने की सिफारिश लोकपाल के पास है, यह जनसेवकों को संरक्षण प्रदान करने के सिद्धांत के खिलाफ होगा जिसकी उन्हें जरूरत होती है।’

मंत्रालय ने उस दौरान यह भी कहा था कि जनसेवकों को अनुच्छेद 311 और 320 और संविधान के उपबंध 3 ( सी) के तहत प्रदत्त संवैधानिक संरक्षण भी प्रस्तावित कानून के प्रावधानों से बुरी तरह प्रभावित होगा।

समिति ने संशोधित विधेयक की एक प्रति के साथ शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट उच्च सदन के पटल पर रखी थी।

समिति ने उपबंध में बदलावों की सिफारिश की है जिसके अनुसार अब पढ़ा जाएगा,‘लोकपाल को मुकदमा चलाने की अनुमति प्रदान करने की शक्ति होगी।’ समिति द्वारा प्रस्तावित एक और संशोधन में कहा गया है कि लोकपाल के कम से कम तीन सदस्यों की एक पीठ अपनी अभियोजन शाखा या जांच एजेंसी को आरोपपत्र दाखिल करने की अनुमति देने से पूर्व सक्षम प्राधिकार और संबंधित जनसेवक से ‘टिप्पणियां’ हासिल करनी होंगी।

लोकसभा द्वारा पारित लोकपाल विधेयक के सातवें अध्याय के उपबंध 23 (1) के अनुसार,‘लोकपाल के निर्देश पर किसी जांच या प्रारंभिक जांच के लिए, कोई आरोपपत्र दाखिल करने के लिए या जांच पूरी होने पर इस अधिनियम के तहत विशेष अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए लोकपाल द्वारा किसी मंजूरी या किसी प्राधिकार के अनुमोदन की जरूरत नहीं होगी।’

प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों को ‘अलग रखने’ के सरकार के सुझावों के बावजूद सत्यव्रत चतुर्वेदी की अध्यक्षता वाली समिति ने किसी प्रकार के बदलाव की सिफारिश नहीं की है।

प्रस्तावित कानून में प्रधानमंत्री को आंतरिक और बाहरी सुरक्षा, परमाणु ऊर्जा, अंतरराष्ट्रीय संबंधों तथा लोक व्यवस्था के मामलों में लोकपाल के दायरे से बाहर रखा गया है। हालांकि उन्हें इसके दायरे में लाए जाने की मांग लगातार हो रही है। (एजेंसी)

First Published: Sunday, November 25, 2012, 15:06

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